जय गणपति देवा, देवा गणपति 
विनायक, विघ्नहर्ता, गणेश और एक दंत आदि नाम है आदि, अनादि और सर्वव्यापी मंगल मूर्ति मंगलकर्ता गणपति के। हालांकि इस विराट व्यक्तित्व और कृतित्व को एक लेख में समेट लेना बड़ा मुश्किल है लेकिन आज हम आपको बताएंगे बोहरा गणेश जी के बारे में और गणपति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के बारे में। कहा जाता है कि महाभारत को लिखने में स्वयं गणपति का बड़ा योगदान रहा। वे पहले देवता है जिन्होंने सनातन धर्म में तेज लिखने की शॉर्ट हैंड पद्धत्ति की खोज की। मेरे हिसाब से गणपति का सम्पूर्ण व्यक्तित्व सीखने का एक गुरुकुल है। वो लेखक भी है तो योद्धा भी, नायक भी है तो शक्तिपुंज भी। और हमारे बोहरा गणेश जी तो एक अकॉउंटेंट है। बोहरा गणेश जी को पहले “बोर गणेश” जी कहा जाता था। वो इसलिए कि बोहरा गणेश मंदिर में शहरवासी अधिकतर अपनी मनोकामना लेकर आते थे। उनमें से अधिकतर वो लोग होते थे जिसके पैसों की वजह से काम अटक हुआ होता था। जब बोहरा गणेश के दर लोग अपनी हाजरी लगाकर नियत समय पर पैसों की अर्जी लगाते तो वो पैसा उनको यहां मिल जाता था। इसके बाद काम होने पर उसको ब्याज सहित भक्त लोटा देते थे। उस वक्त तक पैसों की लेनदेन का काम बोहरा समुदाय के लोग किया करते थे। इसलिए धीरे धीरे गणपति बोहरा गणेश जी महाराज के नाम से प्रसिद्ध हो गए। इस मंदिर का निर्माण करीब 400 वर्ष पूर्व माना जाता है।
परिवार में सब एक से एक
शिव परिवार में ज्येष्ठ पुत्र भगवान गणपति हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि शिव परिवार में प्रत्येक व्यक्ति या उनसे जुड़े वाहन एक- दूसरे से विपरीत होने के बावजूद प्रेम के अटूट धागे से बंधे हैं। जैसे शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, मगर शिवजी के गले में सर्प लटके रहते हैं। वैसे स्वभाव से मयूर और सर्प दुश्मन हैं। जबकि गणपति का वाहन चूहा है और सांप मूषकभक्षी जीव है। पार्वती स्वयं शक्ति हैं, जगदम्बा हैं जिनका वाहन शेर है। मगर शिवजी का वाहन तो नंदी बैल है। परंतु नहीं, इन भिन्नताओं, शत्रुताओं और ऊंचे-नीचे स्तरों के बावजूद शिव का परिवार शांति के साथ कैलाश पर्वत पर प्रसन्नतापूर्वक रहता है। 
विसंगतियों के बीच संतुलन का बढ़िया उदाहरण
स्वभावों की विपरीतताओं, विसंगतियों और असहमतियों के बावजूद सब कुछ सुगम है, क्योंकि परिवार के मुखिया ने सारा विष तो अपने गले में थाम रखा है। विसंगतियों के बीच संतुलन का बढ़िया उदाहरण है शिव का परिवार। इसी तरह भगवान गणेश का परिवार भी सुख और समृद्ध से परिपूर्ण है।
 गणेश जन्म कथा : अलग-अलग पुराणों में गणेशजी की जन्म कथा अलग-अलग है, लेकिन सर्वमान्यता के अनुसार गणेशजी को पार्वतीजी ने एक दुर्वा से बनाकर अपने पहरे के लिए रखा था। कथा के अनुसार गणेश को द्वार पर बिठाकर पार्वती स्नान करने लगीं। इतने में शिव आए और पार्वती के भवन में प्रवेश करने लगे। गणेश ने जब उन्हें रोका तो क्रुद्ध शिव ने उसका सिर काट दिया। इस घटना से पार्वतीजी क्रोधित हो गईं, तब शिवजी ने एक हाथी का सिर उन पर लगाकर उन्हें फिर से जीवित कर दिया।
योगेश सुखवाल (Dop एंड युवा पत्रकार)