ग्राउंड रिपोर्टिंग yogesh Sukhwal

Udaipur News Updates. शहर से सटे भुवाणा गांव में 38 साल बाद गवरी का मंचन हुआ तो कलाकारों सहित गांववासियों के उत्साह का ठिकाना नहीं रहा। सुबह दिनभर विभिन्न मंदिरों और देवरों में परंपरागत अनुष्ठानों का दौर चला। इसके बाद गवरी के गाबा पहने की रस्म का निर्वाह किया गया। इस दौरान गौरज्या माता, बालेश्वरी माता, मामादेव मंदिर के बाहर लोगों का हूजूम उमड़ पड़ा। गांव के मौतबीरों की मौजूदगी में गवरी को गाबा पहनाने की रस्म निभाई गई। इसके बाद बालेश्वरी माता सहित अन्य जगहों पर थाली-मांदल के साथ जमकर फटकार उड़ी।

गांव के लोगों ने बताया कि सुबह 6 बजे से ही परंपरागत अनुष्ठानों का दौर शुरू हो गया। रत्नागिरी पर्वत पर स्थित बालेश्वरी माता मंदिर में सर्वप्रथम पूजा-अर्चना का दौर देर तक चला। इसके बाद गवरी के कलाकार और मौतबीरों के साथ गौरज्या माता मंदिर पहुंचे, जहां पर पूजा-अर्चना के बाद मामादेव मंदिर पधारे। बाद में पुन: गौरज्या माता के मंदिर में सवा 9 बजे गवरी का विधि-विधान के साथ गाबा पहनाया गया। मौतबीरों ने सर्वप्रथम मां भगवती को पोशाक धारण करवाई इसके बाद राई और बुढिय़े को गाबा यानी कपड़े पहनाने की रस्म का निर्वाहन किया गया। बाद में गवरी रमने वाले कलाकारों के परिवारजनों, रिश्तेदारों और गांव के लोगों ने फूल माला पहनाकर उनका स्वागत अभिनंदन किया। यहां से कारवां बालेश्वरी माता मंदिर पहुंचा, जहां पर जमकर गवरी की रमघट जमी। थाली-मांदल के साथ 500 से अधिक कलाकारों ने गवरी मंचन का दस्तुर किया। इसके बाद बारी-बारी से गौरज्या माता प्रांगण, मामादेव, गवरी चौक में गवरी का मंचन देखने को मिला। शाम को महाप्रसादी में लोगों की भीड़ उमड़ी। दिनभर उत्सवी माहौल रहा और धार्मिक माहौल में लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

भुवाणा में गवरी का गाबा पहनाते मौतबीर और गवरी देखने उमड़ी भीड़
भुवाणा में गवरी का गाबा पहनाते मौतबीर और गवरी देखने उमड़ी भीड़