राजसमंद, चेतना भाट। जिला मुख्यालय पर शनिवार को बिहारी परिवारों ने महापर्व छठ परम्परानुसार मनाया और शाम को प्रभु द्वारकाधीश मंदिर के समीप जलघरा घाट से अस्ताचलगामी सूर्य को अध्र्य दिया। इससे पहले जलघरा घाट पर विधि विधान से पूजा-अर्चना की गई। शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ प्रारंभ हुआ है। छठ पर्व को लेकर जिला मुख्यालय पर रहने वाले बिहारी परिवारों में माहौल भक्तिमय रहा और उन्होंने घर पर छठ मईया के कर्णप्रिय और पारंपरिक गीत बजा रखे थे। माना जाता है कि छठ माता के गीत सुनने से सारी परेशानी दूर हो जाती है और मां की कृपा से उसका जीवन खुशहाल हो जाता है। छठ मइया के गीतों से सूर्य देवता की और छठ मइया की प्रार्थना की जाती है। इससे पूर्व शुक्रवार को शाम व्रतधारी महिलाएं जलघरा घाट पर पहुंचकर फलों को टोकरी हाथ में लेकर अस्ताचलगामी सूर्य को अध्र्य दिया गया। इस दौरान महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाती है। बताया जाता है कि इस पर्व में सिंदूर लगाना जरूरी होता है। सिंदूर सौभाग्य का प्रतिक है। सुहागन महिलाएं पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए मांग मे सिंदूर लगाया जाता है। मान्यता है कि जितना लम्बा सिंदूर लगाया जाता है, पति की उम्र उतनी ही लम्बी होती है। छठ महापर्व पर छठ मइया अपने जातकों की रक्षा करती है और उनकी सभी मनोकामना पूरी करती है।