. संसद के उच्च सदन मने राज्यसभा में सोमवार को उपसभापति पद के चुनाव में
एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह को दूसरी बार उपसभापति चुना

संसद के उच्च सदन मने राज्यसभा में सोमवार को उपसभापति पद के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह को दूसरी बार उपसभापति चुना गया है। उनको ध्वनिमत के जरिये इस पद के लिए चुना गया। इसके बाद हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि ‘‘मैं आपका आभारी हूं। आभारी इसलिए हूं कि गांव में रहने वाले एक बहुत सामान्य परिवार के व्यक्ति को आपने इस लायक समझा; साथ ही ऐसे व्यक्ति को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जो कभी इंग्लिश मीडियम स्कूल का दरवाजा नहीं गया।
सदन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरिवंश नारायण को दोबारा उपसभापति चुने जाने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि सदन के हरि, पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए एक जैसे ही रहेंगे।
सिंह के सामने विपक्ष ने राजद नेता मनोज झा को अपना उम्मीदवार बनाया गया था। हालांकि, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने घोषणा की थी कि बीजू जनता दल (बीजेडी) के सांसद राज्यसभा में उपसभापति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। जबकि बीजेडी एनडीए का हिस्सा नहीं है।

आइये जानते है कौन है हरिवंश नारायण सिंह

यूपी के बलिया जिले के रहने वाले हरिवंश नारायण सिंह ने पहली बार एनडीएम की ओर से उपसभापति पद का दायित्व संभाला था। सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को 125 के मुकाबले 105 वोटों से निकस्त दी थी। उनका जन्मदिन 30 जून 1956 को आता है। बिहार में छपरा और सिताबदियारा के दलजीत टोला में जन्मे नारायण सिंह ने पहली प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल की पढ़ाई वहीं से की थी। इसके बाद जेपी इंटर काॅलेज सेवाश्रम जयप्रकाशनगर से 1971 में हाईस्कूल पास की और जां पहुंचे वाराणसी। यहां उन्होंने यूपी काॅलेज से इंटरमीडिएट और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक की और फिर पत्रकारिता में डिप्लोमा की डीग्री ली।
वर्ष 2014 को बिहार से उनको राज्यसभा के लिए चुना गया। ये कार्यकाल अप्रैल 2020 को पूरा हुआ। हरिवंश जयप्रकाश नारायण जेपी से काफी प्रभावित रहे। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पत्रकारिता के दौरान ही पे 1977/78 में टाइम्स आॅफ इंडिया से जुड़ गए। इसके बाद वे टाइम्स की ही साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग में रहे। हैदराबाद और पटना में एक बैंक में नौकरी की और 1989 अक्टूबर माह में आनंद बाजार पत्रिका समूह से प्रकाशित होने वाले रविवारीय पत्रिका में सहायक संपादक रहे। उनके शिक्षक बताते है कि पढ़ाई के दौरान हरिवंश बातें कर और प्रश्न पर तर्क वितर्क ज्यादा करते थे।
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