लम्बे उपचार के बाद सौभाग्य मुनि देवलोकगमन
दीक्षा स्थल कडिय़ा में हुआ अंतिम संस्कार 

चेतना भाट की रिपोर्ट

राजसमंद/खमनोर। मेवाड़ संत शिरोमणि पूज्य प्रवर्तक गुरुदेव अंबालाल महाराज के शिष्य श्रमण संघीय महामंत्री 83 वर्षीय सौभाग्य मुनि महाराज कुमुद कोरोना संक्रमित होने से सोमवार को उदयपुर चिकित्सालय में देवलोक गमन के पश्चात उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को राजसमंद-उदयपुर जिले से सटे कडिय़ा गांव में गुरु सौभाग्य दीक्षा स्थल ट्रस्ट परिसर में सरकार की गाइडलाइन के अनुसार किया। जहां पर बड़ी संख्या में जुड़ें भक्तों ने बरबस जल बरबस झलकती नम आंखों के साथ गुरु को अंतिम विदाई दी। इस दौरान समूचा वातावरण गुरु सौभाग्य के जयकारों से गुंजायमान रहा। हालांकि सरकार के निर्देशों की पालना में सौभाग्य दीक्षा ट्रस्ट परिसर में बहुत कम संख्या में समाज जन उपस्थित हुए। लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से अनेक लोगों ने जूम एप के जरिए अपने आराध्य गुरुदेव को अंतिम विदाई दी। गुरु सौभाग्य के देवलोक गमन के साथी समूचे मेवाड़ सहित विभिन्न प्रांतों में प्रवास बड़ी संख्या में बच्चों के बीच शोक की लहर छा गई। 

जहां ली दीक्षा, वहीं हुआ अंतिम संस्कार


सौभाग्य मुनि ने 2 फरवरी 1950 को अपनी दीक्षा ग्रहण की थी उसी स्थान पर मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। ट्रस्ट द्वारा अंतिम संस्कार का समय निर्धारित किया गया था। लेकिन दीक्षा स्थल पर बड़ी संख्या में लोगों के आने से एक बार प्रशासन ने शव देने से इंनकार कर दिया। इससे निर्धारित समय में विलम्ब हो गया। लेकिन कुछ समय तक समाज के लोगों की समझाईश पर करीब 3 बजे गुरु सौभाग्य का पार्थिव शव एम्बुलेंस में ट्रस्ट परिसर में लाया गया। जहां पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। प्रशासनिक व्यवस्थाओं के मद्देनजर मौके पर गोगुंदा थाना अधिकारी गोपाल शर्मा मय जाब्ता उपस्थित रहे।

दीक्षा स्थल पर बनेगा धाम व स्मृति स्थल

सौभाग्य मुनि के दीक्षा ग्रहण स्थान पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उसी स्थल पर भव्य धाम का निर्माण होगा। जिसके लिए ट्रस्ट की ओर से प्रारंभिक रूपरेखा तैयार कर ली गई है। अंतिम संस्कार के दौरान धाम के निर्माण को लेकर विभिन्न प्रकार की बोलियां लगाई गई। वहीं गुरु की याद में 71 फीट ऊंचा स्मृति स्थल का निर्माण भी किया जाएगा। जिसको लेकर समाजजन द्वारा दीक्षा स्थल पर विभिन्न प्रकार की बोलिया लगाई गई। गुरु सौभाग्य की दीक्षा स्थली के रूप में विज्ञान कडिय़ां चर्च परिसर में विभिन्न रचनात्मक कार्य जैसे नि:शुल्क भोजनशाला, चिकित्सालय चिकित्सा व्यवस्था आदि का संचालन हो रहा है। इस दौरान कोमल मुनि, सम्भव मुनि, मावली विधायक धर्मनारायण जोशी, ट्रस्ट अध्यक्ष हुक्मीचन्द कोठारी, महामंत्री ओमप्रकाश मांडोत, कोषाध्यक्ष पवन कुमार कोठारी, चौथमल सांखला, संजय मांडोत, अशोक सेठिया, प्रकाश मांडोत कई सहित श्रीसंघ कांकरोली अध्यक्ष देवीलाल हिंगड़, रोशनलाल पगारिया, सुरेशचंद्र हिंगड़, अशोक पमेचा, भैरूलाल हिंगड़, सीपी सिंयाल, ललित श्रीश्रीमाल आदि उपस्थित थे।

ऐसा रहा गुरु सौभाग्य मुनि का जीवन

चित्तौडग़ढ़ जिले के अकोला गांव में गुरु सौभाग्य का जन्म 10 दिसंबर 1937 को हुआ उनका जन्म नाम सुजानगढ़ गांधी था तथा उनकी माता का नाम नाथ बाई था। जिन्होंने भी सांसारिक जीवन को त्याग कर संयम पद को अंगीकार किया था। उनके पिता का नाम नाथूलाल गांधी था। वही उनकी बहन उगम कंवर जिन्होंने भी जैन दीक्षा ग्रहण की थी। गुरु सौभाग्य की दीक्षा 2 फरवरी 1950 को उदयपुर जिले के कडिय़ा गांव में हुई थी। गुरु की दीक्षा गुरु मेवाड़ संघ शिरोमणि पूज्य प्रवर्तक गुरुदेव अंबालाल महाराज से हिंदी, प्राकृत, संस्कृत, गुजराती एवं अंग्रेजी भाषा के जानकार मुनि कुमुद को आपकी संत सेवा एवं नेतृत्व क्षमता को देखते हुए वर्ष 1986 में महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित साधु सम्मेलन में समर्थन के महामंत्री पद पर सुशोभित किया गया था। गुरु ने अब तक विभिन्न स्थानों पर 69 चातुर्मास किए। राजस्थान प्रांत सहित गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु एवं कन्याकुमारी तक हुआ। गुरु के अनुयाई पूरे भारत राष्ट्र में फैले हुए है। गुरु ने अपने संयम जीवन में सदैव धर्म और अध्यात्म पर प्रकाश डाला सेवा भावनाओं के प्रति भी अपने शिष्यों को प्रेरित किया था। जिसके फलस्वरूप शिक्षा चिकित्सा समाज सेवा सहित विभिन्न कार्य विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से संचालित हो रहे है। गुरु ने समूचे मेवाड़ को मेवाड़ संघ के रूप में एकता के सूत्रधार में पिरोया।