कृषि की नई तकनिक अपनाकर ज्यादा उपज प्राप्त करें किसान : गुर्जर

0

राजसमंद, चेतना भाट। जिला मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से मंगलवार को प्रसार शिक्षा निदेशालय निदेशक डॉ. एसएल मुंदड़ा की अध्यक्षता में कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कांगे्रस जिलाध्यक्ष देवकीनंदन गुर्जर, विशिष्ट अतिथि देलवाड़ा उपप्रधान रामेश्वरलाल खटीक, कालीवास सरपंच वक्ताराम गमेती, पशु पालन विभाग उप निदेशक डॉ. घनश्याम मुरडिय़ा थे। जिलाध्यक्ष गुर्जर ने कहा कि किसान कम पानी में भी कृषि की नवीतम तकनिक का उपयोग कर उन्नत खेती से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर खेती करें। उन्होंने किसान छोटी जोत में जल संरक्षण द्वारा बंूद-बंूद एवं फव्वारा सिंचाई तकनिक अपनाकर खेत करने पर जोर दिया। डॉ. एसएल मुंदड़ा ने उपस्थित किसानों से आह्वान किया कि परम्परागत कृषि को छोडक़र व्यवसायिक कृषि अपनाएं एवं अपने परिवार की आय बढ़ाएं। मेले के प्रारंभ से पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. पीसी रेगर ने अतिथियों का स्वागत किया एवं केन्द्र की विभिन्न गतिविधियों तथा योजनाओं की जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम को पशु पालन विभाग उप निदेशक डॉ. घनश्याम मुरडिय़ा, उद्यान विभाग सहायक निदेशक डॉ. एनएस राठौड़, कृषि अधिकारी खुमानसिंह रूपावत, उप प्रधान रामेश्वरलाल खटीक, प्रबंधक हितेश चौबीसा आदि ने भी सम्बोधित कर कृषि की नई तकनिक अपनाने पर जोर दिया। किसान मेले में करीब 128 कृषकों सहित विभिन्न विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया। इस दौरान अतिथियों एवं अधिकारियों ने प्रगतिशील कृषक गणपतसिंह बागोल, मांगीलाल तेली जोधपुरिया, भगवतीलाल भील धरम तलाई, अर्जुन मेंवाड़ा बिनोल, हर्षवर्धनसिंह सेवाली, लक्ष्मीलाल जोशी दड़वल, राधा रेगर कुंचोली, मोहनलाल खटीक कुम्हारिया खेड़ा, सुरेश जाट दगोलिया खेड़ा, घीसुलाल यादव अरड़किया, आशा भील बागोल को सम्मानित कर पारितोषित प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद मृदा वैज्ञानिक डॉ. मनीराम ने ज्ञापित किया।

राजसमंद। कृषि विज्ञान केन्द्र में आयोजित कृषि विज्ञान मेले में कृषकों को सम्मानित करते अतिथि एवं कार्यक्रम में उपस्थित कृषक। फोटो-प्रहलाद पालीवाल


अनचाहे नवजात शिशु को फैंके नहीं, हमें दें : सांखला


राजसमंद। गत 9 दिसम्बर को शहर के राजकीय आरके जिला चिकित्सालय के पालना घर से प्राप्त नवजात बालिका के प्रीटर्म प्रीमेच्योर डिलिवरी में फैंफड़े पूर्ण रूप से विकसित नहीं होने के कारण श्वांस में तकलिफ होने जिला चिकित्सालय में वेंटीलेटर उपलब्ध न होने से नवजात की स्थिति गंभीर होने पर पीएमओ डॉ. ललित पालीवाल की निर्देशन में उदयपुर रैफर कर दिया गया था। नवजात का वजन 2.3 किग्रा था। बाल चिकित्सालय उदयपुर विभागाध्यक्ष सीनियर प्रोफेसर विवेक अरोड़ा ने बताया कि शिशु को तुरन्त वेंटीलेटर पर लिया गया एवं श्वास को सामान्य करने के लिए सर्फेक्टेंट के इंजेक्शन दिए गए। बच्ची की वर्तमान स्थिति का जायजा लेने के लिए बाल अधिकारिता विभाग सहायक निदेशक कृष्णकांत सांखला एवं शिशु गृह प्रभारी प्रकाश सालवी उदयपुर एमबी चिकित्सालय पहूंचे एवं चिकित्सालय अधीक्षक डॉ. आरएल सुमन एवं विभागाध्यक्ष से जानकारी ली। बच्ची वर्तमान में एनआईसीयू में एडमिट है। वहां मौके पर मौजूद बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. भूपेश जैन ने बताया कि शिशु की स्थिति में पहले से सुधार है, पर उसे वेंटिलेटर से हटाकर सी-सेप पर लिया गया है। सी-सेप वेंटिलेटर एवं ऑक्सीजन के बीच की एक स्थिति है। इस तरह अनचाहे नवजात को फैंके जाने की घटनाओं पर सहायक निदेशक कृष्णकांत सांखला ने आमजन से अपील की है कि अनचाहे नवजात शिशु को फैंके नहीं हमें दें। उन्होंने कहा कि इसके लिए शिशु को बाल अधिकारिता विभाग या बाल कल्याण समिति को सौंपा जा सकता है। सौंपने वाले से कोई सवाल नहीं पूछा जाता एवं नाम, पता आदि गोपनीय रखा जाता है। इसके अलावा शहर के आरके जिला चिकित्सालय एवं राजकीय गोवर्धन चिकित्सालय नाथद्वारा में स्थित पालनाघर में भी शिशु का सुरक्षित परित्याग किया जा सकता है। इसमें कोई प्रकरण नहीं बनता है एवं आपकी पहचान गुप्त रखी जाती है। इसके विपरित शिशु को झाड़ी या सडक़ किनारे छोड़ देने पर हुए असुरक्षित परित्याग करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हुए कानूनी कार्यवाही की जाती है। इसके साथ ही यह शिशु के जीवन को भी खतरे में डालने वाला कृत्य है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here