सरकार की ओर से बनाए गए तीन नए कानूनों के खिलाफ किसानों का जंगी प्रदर्शन जारी है। इसी बीच खबर आई है कि यहां एक संत ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर दी। कहा ये जा रहा है कि आत्महत्या करने वाले संत बाबा राम सिंह किसानों के प्रति सरकार के रवैये से काफी आहत थे। उन्होंने सुसाइड नोट भी लिखा उसमें भी सरकार और जुल्म शब्द का उपयोग ज्यादा किया गया। वे पिछले काफी दिनों से दिल्ली के पास हो रहे आंदोलन में शामिल थे। उन्होंने एक शिविर की भी व्यवस्था की थी और कंबल भी बांटे थे।

दरअसरल ये घटना हुई है डेरा करनाल जिले के निसंग के पास सिंगड़ा गांव में। आत्महत्या करने वाले बाबा संत रामसिंह इसी गांव के नाम से सिंगड़ा वाले बाबाजी के नाम से दुनियाभर में काफी मशहूर थे। सभी जगह उनको सिंगड़ा वाले संत के नाम से ही जाना जाता था। वे सिंगड़ा वाले डेरे के अलावा विश्वभर प्रवचन करने के लिए जाते थे। असल में वे सिखों की नानकसर संप्रदाय से जुड़े हुए थे। नानकसर संप्रदाय में संत बाबा राम सिंह का बहुत ऊंचा स्थान माना है। काफी दिनों से संत बाबा राम सिंह किसान समस्याओं को लेकर व किसान आंदोलन को लेकर काफी आहत बताए जा रहे थे। अकाली दल हरियाणा के प्रदेश प्रवक्ता कंवलजीत सिंह अजराना ने बताया कि गुरुवार को उनका पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान निसंग के पास सिंगड़ा गांव के डेरे में दर्शनों के लिए रखा जाएगा। इसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचने की संभावना है।

सुसाइड नोट में ये लिखा उन्होंने

संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारने से पहले एक पत्र भी लिखा। इसमें उन्होंने क्या कहा है, उसका हिंदी अनुवाद यह है।

किसानों का दुख देखा है अपने हक के लिए सडक़ों पर उन्हें देखकर मुझे दुख हुआ है सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है जो कि जुल्म है जो जुल्म करता है वह पापी है जुल्म सहना भी पाप है किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जताया है किसानों के हक के लिए, सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्मदाह करता है यह जुल्म के खिलाफ आवाज है यह किसानों के हक के लिए आवाज है वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह

गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से दिल्ली की सीमाओं के करीब किसान डटे हुए हैं। सरकार के साथ किसान नेताओं की कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन मुद्दा अभी सुलझा नहीं है। किसानों ने कहा कि वह 6 महीने का राशन-पानी लेकर यहां आए हैं सरकार से अपनी बात मनवाकर रहेंगे। इसी बीच संत बाबा राम सिंह के आत्महत्या करने से किसानों का ये आंदोलन नया मोड ले सकता है।