• नहीं सजेंगे पाण्डल न होगी भजन संध्याएं

राजसमंद, चेतना भाट। इस साल शारदीय नवरात्रि का हमें लंबा इंतजार करना पड़ा है। अधिकमास के चलते इस बार नवरात्रि एक महीने की देरी से शुरू हुई। अधिकमास खत्म होने के साथ ही शनिवार से नवरात्रि शुरू हो जाएगी। नवरात्रि पर देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा कर उन्हें प्रसन्न और मनोकामनाएं मांगी जाती है। हर वर्ष आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना आरंभ हो जाती है। इस बार की नवरात्रि बहुत खास है क्योंकि इस नवरात्रि 58 साल के विशेष फलदायी संयोग बन रहा है। सविता ज्योतिष संस्थान के आचार्य अर्जुनकृष्ण पालीवाल ने बताया कि ज्योतिषशास्त्र की गणना के अनुसार 58 वर्षों के बाद शनि और गुरु ग्रह दोनों ही स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे। शनि अपनी राशि मकर में और गुरू अपनी राशि धनु में हैं। इस शुभ संयोग पर कलश स्थापना के साथ नवरात्रि बहुत ही शुभ मानी जाती है। इसके अलावा नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर चित्रा नक्षत्र रहेगा। वहीं इस शारदीय नवरात्रि पर चार सर्वार्थसिद्धि, एक त्रिपुष्कर और चार रवियोग बनेंगे। इसके अलावा सौभाग्य, धृति और आनंद योग भी रहेंगे। ऐसे में नई चीजों की खरीद-बिक्री और मकान या जमीन में निवेश के लिए समय बहुत ही शुभ रहेगा। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने के बाद माता के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना होती है। इस दिन माता को भोग लगाकर और दुर्गासप्तशी का पाठ किया जाता है और अंत में माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

राजसमंद। जिला मुख्यालय पर नवरात्रि को लेकर आवारी माता मंदिर परिसर में सजाया गया पाण्डाल एवं मिट्टी के दिपक खारीदते शहरवासी। फोटो-प्रहलाद पालीवाल


शक्तिपीठ व मातारानी के मंदिरों में रहेगी दस दिन तक धूम


कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष हर तीज त्योहार के साथ दस दिवसीय नवरात्रि पर्व सरकार द्वारा जारी गाईड लाईन की पालना के साथ मनाई जाएगी। इस बार नहीं तो किसी देवी मंदिरों में विशाल भजन संध्या होगी नहीं शहर सहित ग्रम्यांचल में गरबा महोत्सव के आयोजन होंगे। मंदिरों में केवल घट स्थापना के साथ अन्य अनुष्ठान वह भी सिमित दायरे में किए जाएंगे। नवरात्रि स्थापना को लेकर इन दिनो जिले भर के सभी देवी मन्दिरो पर रंग रोंगन तथा धार्मिक स्थलों को आकर्षक फर्रियों एवं विद्युत लाइटों से सुसज्जित किया जा रहा है। अधिकमास की समाप्ति के साथ ही इस वर्ष दस दिवसीय नवरात्रि को लेकर तैयारियां प्रारंभ हो गई है। महोत्सव को लेकर जिला मुख्यालय के आवरीमाता, राठासेण माता, अन्नपूर्णा माता, मालीवाड़ा, भोईवाड़ाचावण्डा माताजी, अम्बामाता, गेवर माता, धूंधलाज माता सहित जिले के विकावास माता, दोवड़ा माता, करणी माता, खेड़ादेवी सहित जिलेभर में मातारानी के दरबार में रगं बिरंगी फर्रिया, लाईटिग व मंदिरो पर आकर्षक विद्युत सज्जा कर देवालयों को सजाया गया है। जिले में शारदीय नवरात्रि की शुरूआत शनिवार को घट स्थापना के साथ होगी। इसी के साथ शक्तिपीठों और मातारानी के मंदिरों में शक्ति, भक्ति और उपासना की सतरंगी झलक देखने को मिलेगी। तैयारियां अंतिम चरणों में चल रही है। मंदिरों पर रंगरोगन का काम किया जा रहा है।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
आचार्य अर्जुनकृष्ण पालीवाल के अनुसार इस शारदीय नवरात्रि पर घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 17 अक्तूबर को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर है। घट स्थापना के लिए चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग दोनों ही अशुभ है इन दोनों को घट स्थापना के लिए अच्छा नहीं माना गया है। किंतु शास्त्र मत के अनुसार इनके प्रारंभ से दो चरणों का त्याग कर घट स्थापना की जा सकती है। इसलिए घट स्थापना के लिए शनिवार प्रात: 6:30 से 8:53 तक समय सुबह रहेगा। इसी तरह चौघडि़ए के आधार से चल लाभ अमृत चौघडि़ए 12:15 से अपरान्ह 4:35 तक श्रेष्ठ रहेगा। विशेष अभिजीत वेला 11:55 से 12:40 तक रहेगा तथा द्वी स्वभाव लग्न प्रात: 11:09 से दोपहर 1:15 तक रहेगा। इस समय में पूजन प्रारंभ करना घट स्थापना करना शुभ रहेगा। उपरोक्त समयानुसार पूजक जप अनुष्ठान व्रत का संकल्प ले सकते हैं जो नित्य जब करते हैं उनके लिए ब्रह्म मुहूर्त स्वयं सिद्ध होता है। अत: वह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में घट स्थापना कर सकते हैं। प्रतिपदा इस वर्ष 17 अक्टूबर रात्रि 9:08 तक रहेगी।
विश्व आपदा कोरोना संक्रमण में युग धर्म पालन होगा
नवरात्री के अंतिम दिन 25 अक्टूबर नवमी के दिन पूर्णाहुति करें, पूर्णाहुति यज्ञ के बाद पारण (भोजन) कर सकते हैं। इसी दिन भगवान श्रीराम का विजय दिवस विजयादशमी भी है। पूर्णाहुति सामूहिक यज्ञ के आयोजन के बजाय घर पर ही करें। सामूहिक कन्या भोज आयोजित न करें। पूर्णाहुति में घर का बना हुआ हलवा, खीर या गुड़ ही होना चाहिए। कोरोना वायरस से बचाव के लिए औषधियों एवं देशी घी से यज्ञ करें, गर्म पानी पीने में प्रयोग करें। गले मिलने के बजाया दूर से नमस्ते करें, इन दिनों चरण स्पर्श भी न करें। विटामिन सी वाले फल अधिक मात्रा में खाएं, बुजुर्ग एवं बच्चों का ध्यान विषेश रखें। सामूहिक तौर पर एकत्रित भी न हों, किसी के घर पर भी सामूहिक यज्ञ पूजन के लिए एकत्र न होंवे।
शुभ संयोग के कारण काफी शुभफलदायक रहेगी नवरात्री
इसके अलावा सुबह 11 बजकर 2 मिनट से लेकर 11 बजकर 49 मिनट पर घटस्थापना किया जा सकता है। इस शारदीय नवरात्रि पर बने शुभ संयोग के कारण कुछ राशियों के लिए काफी शुभफलदायक रहेगा। जिनमें मकर, सिंह, वृश्चिक, धनु, वृषक और मीन राशि के जातकों के लिए नवरात्रि शुभ रहेगी। नवरात्रि के नौ दिन और शुभ योग 17 अक्टूबर सर्वार्थसिद्धि योग, 18 को त्रिपुष्कर और सर्वार्थसिद्धि योग, 19 को सर्वार्थसिद्धि योग व रवियोग, 20 को सौभाग्य और शोभन योग, 21 को रवियोग, 22 को सुकर्मा और प्रजापति योग, 23 को धृति और आनंद योग, 24 को सर्वार्थसिद्धि योग एवं 25 व 26 अक्टूबर विजयदशमी पर रवियोग रहेगा।