राजसमन्द, चेतना भाट। समीपवर्ती ग्राम पंचायत मुख्यालय पाखण्ड पर राजकीय उपयोग के लिए आरक्षित सरकारी आबादी भूमि पर अतिक्रमण कर किए जा रहे अवैध निर्माण पर आक्रोश व्यक्त करते हुए ग्रामवासियों ने बुधवार को मुख्यमंत्री के नाम उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा एवं राज्य व जनहित में अतिक्रमण व अवैध निर्माण ध्वस्त कराकर भूमि को सुरक्षित कराने की मांग की। पूर्व सरपंच भैरूलाल जाट, पूर्व उप सरपंच डूंगरसिंह चुण्डावत, पारसमल खटीक, फतह सिंह, दिलीप टांक, रोशनलाल सुथार, डूलेसिंह, बहादुरसिंह आदि ग्रामीण जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे एवं एसडीएम को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में बताया कि पाखण्ड ग्राम में रेलमगरा-नाथद्वारा मुख्य मार्ग पर दो बीघा सरकारी भूमि है जिसके खसरा नम्बर 3961/808 है। इस भूमि को पंचायत ने वर्ष 2008 में आबादी भूमि में रूपांतरित कर आबादी विस्तार के लिए आरक्षित की थी एवं इसके बाद जनहित में उपयोग के लिए विभिन्न राजकीय भवनों का निर्माण कराने के लिए भूमि आवंटित की थी। बताया कि जन उपयोग के तहत अनाज भण्डारए सामुदायिक भवन, जीएसएस एवं पशु चिकित्सालय भवन निर्माण के लिए पूर्व में उक्त भूमि आवंटन कर पट्टे भी जारी कर किए जा चुके है। इनमें से अनाज भण्डार के लिए भवन निर्माण जारी है वहीं अन्य भवनों का निर्माण प्रस्तावित है। इस आरक्षित भूमि में से उक्त सरकारी भवनों के लिए आवंटन के बाद शेष खाली पड़ी भूमि पर हाल ही गांव के कतिपय व्यक्ति ने अतिक्रमण कर लिया एवं खुलेआम अवैध निर्माण भी प्रारम्भ कर दिया है जो वर्तमान में जारी है। आरोप लगाया कि उक्त अतिक्रमण सरपंच पति की मिलीभगत एवं शह पर हो रहा है तथा निजी हित हितपूर्ति के लिए सरकारी भूमि खुर्दबुर्द की जा रही है। उक्त भूमि मुख्य मार्ग पर केशरपुरा चौराहे पर है जो बेशकीमती है जिसे हथियाने का प्रयास चल रहा है। ग्रामीणों ने रोष जताया कि अतिक्रमण ध्वस्त कराने की मांग को लेकर ग्रामवासियों ने ग्राम विकास अधिकारी व उपखण्ड अधिकारी से लेकर जिला कलक्टर को अवगत कराया। लेकिन इसके बावजूद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण यथावत है। यह भी बताया कि उक्त भूमि मुख्य मार्ग पर होने से बेशकीमती होने के साथ ऐसे स्थान पर है जो जन उपयोग की दृष्टि से काफी उपयुक्त है। जिसे जनहित में अतिक्रमण मुक्त कराने की जरूरत है एवं ऐसा नहीं होने पर सरकारी भूमि खुर्दबुर्द हो जाएगी। ज्ञापन में जनहित में उक्त अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण ध्वस्त कर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने एवं पंचायत के कब्जे में लेकर सुरक्षित कराने की मांग गई ताकि भविष्य में जनहित में इसका सदुपयोग हो सके।