Udaipur News त्योहारों से बिगड़ी सफाई व्यवस्था, सफाई ठेकेदार का किया बचाव : उप महापौर Paras Singhvi

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उदयपुर। स्वच्छता मिशन की रैंकिंग में गिरावट, शहर की बदहाल सफाई व्यवस्था और कबाड़ हो रहे करोड़ों रुपए के वाहनों को लेकर उप महापौर पारस सिंघवी ने शुक्रवार को मीडिया के सामने सफाई दी। उन्होंने नगर के 70 वार्डों में बिगड़ती सफाई व्यवस्था का ठिकरा त्योहारों पर फोड़ते हुए कहा कि त्योहारों के कारण कचरा बढ़ गया था। यहीं नहीं उन्होंने ठेकेदार का बचाव करते हुए 15 दिन में सफाई व्यवस्था में सुधार करने के दावे किए। गौरतलब है कि नगर निगम में करीब 5 करोड़ के वाहनों का भंगार पड़ा है। भंगार पड़े वाहनों को निगम ने शहर में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए खरीदा था लेकिन इसके बावजूद हर वार्ड को ठेके पर दे दिया गया है। जबकि ठेकेदार निगम में खड़े वाहनों का उपयोग नहीं करके अपने स्वयं के वाहन लगाकर कचरा उठा रहा है। नतीजा ये निकल रहा है कि जहां एक ओर करीब 1 करोड़ की कीमत के 100 टेम्पो व 4 करोड़ की कीमत के अन्य भारी वाहन कबाड़ हा रहे है। पूर्व में इन टेम्पो को ठेकेदार 10 हजार रुपए प्रतिमाह किराये पर ले जाते थे लेकिन गड़बड़ जाल में ठेकेदार चांदी कूट रहा है और जनता की गाड़ी कमाई कबाड़ में पड़ी-पड़ी सड़ रही है।


खेद है, त्योहारों से बिगड़ी व्यवस्था : सिंघवी


उप महापौर पारस सिंघवी ने कहा कि स्वच्छता सर्वे में इस बार उदयपुर को 122 वीं रेंकिंग मिली है जिस पर हमें खेद है। समय पर कचरा नहीं उठने से हमारी रेंकिंग 25 से गिरकर 122 पर आ गई। सिंघवी ने कहा कि पूर्व बोर्ड में ये रेंकिंग 25 के आसपास थी लेकिन ये गिरकर इस बार 122 हो गई। रेंकिंग गिरने की बात का पता लगाने के लिए 70 वार्डों का सर्वे किया। इसमें सामने आया कि सभी वार्डों में कचरा निकालने के बाद सफाईकर्मी एक जगह कचरे का ढेर लगा देते थे। कचरा समय पर नहीं उठाने से सफाई के मामले में हमारा पायदान खींसकर नीचे आ गया। उन्होंने ये भी हवाला दिया कि नवरात्रि के त्योहार पर कचरा अधिक होने से और ठेकेदार के मजदूरों के छूट्टियों पर चले जाने से ये समस्या आई। इसको लेकर संबंधित ठेका कंपनी को अवगत करवा दिया है। आगामी 15 दिन का समय संबंधित ठेकेदार ने मांगते हुए कहा कि इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं होने पर नगर निगम मुंह मांगा जुर्माना लगाए हम भुगतने के लिए तैयार है।


और चूक यहां : गाड़ी निगम की, डीजल का पैसा


करोड़ों के कबाड़ हो रहे वाहनों और स्वच्छता रेंकिंग में गिरावट के लिए नगर निगम प्लानिंग से काम करें तो स्थिति सुधर सकती है। ठेकेदार को नगर निगम के वाहन लेने के लिए बाध्य किया जा सकता है जिससे निगम के वाहन कबाड़ होने से और करोड़ों रुपए व्यर्थ होने से बचेंगे। यहीं नहीं यूआईटी के साथ हुए नगर निगम का एमओयू हुआ है जिसमें नगर निगम को यूआईटी क्षेत्र की कॉलोनियों में में कचरा संग्रहण का जिम्मा सौंपा है। इसके लिए यूआईटी नगर निगम को करार के तहत 4 करोड़ रुपए सालाना भुगतान करेगी। ऐसे में अगर इन वाहनों का उपयोग अगर किया जाता है तो कम से कम वाहनों में लगे करोड़ों रुपए तो वसूल हो ही जाएंगे। लेकिन इन सब मामलों पर नगर निगम मौन है। कहीं न कहीं निगम की मिलीभगत से करोड़ों के वाहन कबाड़ होने का खेल चल रहा है।

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