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Udaipur. 5 से 6 अप्रैल की बात है। सूडान में गृहयुद्ध छिड़ गया था। अंदेशा पहले से था लेकिन पुख्ता 10 अप्रैल को हुआ। मैं खरसाण का निवासी हूं और एक महीने पहले सूडान गया था। सूडान के अनदूरमान में एक गुजराती फैमेली के यहां खाना बनाने का काम करना हूं। जैसे ही 10 अप्रैल को हमारे एरिया में गोलीबारी शुरू हुई हम सहम गए। हालांकि ठीक ऐसा ही मंजर 2005 में भी देखने को मिला था लेकिन जान तो जान होती है। अपने जीव को बचाना कौन नहीं चाहता है। हमने एरिया बदल दिया। स्थानीय सेना और अद्र्धसैनिक बल में संघर्ष आए दिन चलता रहता है। हमारी गली के ठीक पिछे टीवी, रेडियो का स्टेशन है, वहां पर हमला हो गया। गोलियों की आवाजें आने लगी और हम सहम गए। भगवान को याद करते और सकुशल घर जाने की प्रार्थना करते। घर वाले भी चाहते कि मैं घर लाऊ। आज खरसाण लौटने पर प्रवासी भारतीय ओंकार लाल गोपावत ने सरजमीं को चूमकर ईश्वर का धन्यवाद दिया। साथ ही उदयपुर दोपहर से अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा कि वहां पर हालात विकट है लेकिन 30 तारीख के बाद हालात सामान्य हो जाएगा। आपको बता दें कि सूडान में चल रहे सिविल वॉर में फंसे भारतीयों को ऑपरेशन कावेरी के तहत सुरक्षित निकाला जा रहा है। उदयपुर के प्रवासी भारतीय ओंकार लाल गोपावत सूडान को सकुशल रेस्क्यू कर घर पहुंचाया गया। वे बताते है कि 30 तारीख के बाद हालात सामान्य होने पर स्थिति सुधरेगी और लोग वापस जाएंगे। इससे पूर्व आने वाले लोग आएंगे।

खारतूम का एयरपोर्ट बंद, पॉट सूडान से आए
गोपावत ने बताया कि इस घटना के बाद हम सहम गए। गुजरात की फैमेली जिसके यहां मैं गया था उन्होंने और हमने मिलकर ऑपरेशन कावेरी के तहत रजिस्ट्रेशन किया। ग्रुप का नंबर आया तो हमारा भी नाम था। अनदूरमान से हमको पॉट सूडान आने को बोला। मंगलवार को सुबह हम वहां पहुंचे और रात को छोटे एयरपोर्ट से इंडिया के लिए रवाना हुए। इससे पहले 2 घंटे इंतजार किया। आर्मी का छोटा प्लेन आया और वहां से करीब 200 जनों को साऊदी अरब के जदाह लाया गया। यहां के एयरपोर्ट से करीब 350 लोगों के जत्थे के साथ इंडिया की तरफ प्रस्थान किया।
जिला प्रशासन ने उदयपुर में किया स्वागत
औंकार लाल गोपावत मुंबई से दोपहर 12 बजे विस्तारा की फ्लाइट से प्रस्थान कर दोपहर 2 बजे उदयपुर पहुंचे। डबोक एयरपोर्ट पर बडग़ांव सब रजिस्ट्रार ईश्वर खटीक और आरआई किशन प्रजापत ने माला पहना कर स्वागत किया और गोपावत को सकुशल उसके गांव खरसान तक छोड़ा गया। उनका कहना है कि मेवाड़ के बहुत लोग परचूनी का काम, खाना बनाने और अन्य तरह की नौकरियां करते है। अधिकतर लोग वहां गुजराती फैमेली ही राजस्थानियों को ले जाना पसंद करती है। उन्होंने बताया कि वे इससे पूर्व 2017 से 19 तक सूडान में रहकर आए है।