गुरुनानक को उनके पिता ने कुछ पैसे दिए बोले नानक इन पैसो से सच्चा सौदा करो। यानी ऐसा व्यवसाय करो जिससे जीवन सफल हो जाए। नानक साहब चले बिजनेस करने। रास्ते में एक जगह भूखे प्यासे लोगों को बैठा हुआ देखा तो दिल पसीज गया। पिताजी के पैसों को लगा दिया भोजन बनाने में। घर आए पिताजी ने पूछा नानक क्या किया पैसों का तो नानक साहब बोले उन रूपयों का सच्चा सौदा किंदा। ऐसे थे गुरुनानक साहब। कहते है तब से ही सिख धर्म में लंगर वरतने की परंपरा चली आ रही है। इसी परपंरा को गुरूद्वारों में आगे बढ़ाया जा रहा है लेकिन एक मां भी है जो नानक साहब के पदचिन्हों पर चलकर सच्चा सौदा कर रही है और मां होने का कर्तव्य भी बखूबी निभा रही है।
कहते है मां से बड़ा कोई योद्धा नहीं होता है। ऐसी ही कहानी है एक महिला की। जो एक नहीं बल्कि दोहरी जिंदगी का दामन थामकर जिंदगी से जंग लड़ रही है। कौन है स्कूटी पर राजमा चावल बेचने वाली महिला, कहां की रहने वाली है स्कूटी पर राजमा बेचने वाली ये महिला, इन सबका जवाब आज हम आपको देंगे।
चलिए बताते है आपको। तो ये है सरिता कश्यय इसको सब स्कूटी वाली बहन कहते है। ये दिल्ली के पश्चिम विहार की रहने वाली है। शादी के बाद किसी कारणवश इनका तलाक हो गया। एक बच्ची को लेकर ये चली आई।ये सिंगल मदर है। पहले सरिता आॅटोमाबाइल कंपनी में काम किया करती थी।
इनकी बेटी स्कूल में पढ़ाई करती है। जिसका खर्च उठाने के लिए वो एक दिन घर से राजमा चावल बनाकर निकल पड़ी। एक जगह है पीरागढ़ी मेट्रो स्टेशन के पास एक पेड़ के नीचे स्कूटी पर ही राजमा चावल की स्टाॅल शुरू कर दी। करीब बीस बरस से इसी पेड़ के नीचे सरिता राजमा चावल बेच रही है। यही नहीं इससे जो मुनाफा आता है वो गरीब बच्चों के कपड़े, खाने- पीने और पढ़ाई के लिए खर्च करती हैं।
अब आएगा कहानी में ट्विस्ट
सरिता की असली कहानी तो अब शुरू होगी। उसके यहां चालीस और साठ रुपए में भरपेट राजमा चावल खिलाती है। यही नहीं किसी के पास पैसे नहीं हो तो उसको फ्री में खाना खिलाती है। किसी को भी भूखा नहीं जाने देती है। कहती है खाना खाओ पैसे तो आते रहेंगे। सरिता का दिल इतना बड़ा है कि वो स्टेशन पर घूमने फिरने वाले गरीब बच्चों को फ्री में खाना बांटती है। साथ ही वो खाली समय में बच्चों को पढ़ाती भी है। पेशे से आईएएस अविनाश नाम के व्यक्ति ने इसकी फोटो खिंचकर सोश्यल मीडिया पर अपलोड की तो करोड़ों लोगों ने देखा और अच्छा रिस्पोंस दिया।