
राजसमंद, चेतना भाट। संत और पानी दोनों ही मानवता के लिए वरदान है। बहता हुआ पानी निर्मल रहता है और जहां-जहां से गुजरता है वहां के इलाके को हरा-भरा कर देता है। वैसे ही संत भी निरंतर जिन-जिन क्षेत्रों में जाएंगे जनमानस में वरदान स्वरूप बनेगा और यदि एक स्थान पर रूक गए तो आसक्ति ममता के बंधन में बंध जाएंगे। यह उद्बोधन वरिष्ठ उपप्रवर्तिनी साध्वी रत्ना, डॉ. रवि रश्मि ने मंगलवार को चातुर्मास विदाई समारोह के तहत आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए दिए। उन्होंने कहा कि ने कहा कि साधु-संत यदि एक स्थान पर रूक गए तो विषय वासना और विकार से ग्रसित होकर पतन की संभावना बढ़ जाएगी। समारोह में अध्यक्ष देवीलाल हिंगड़ व मंत्री रोशनलाल डांगी ने विगत पांच महीनों में हुए धर्म आराधना का ब्योरा रखा। भंवरलाल बोल्या, पिस्ता पगारिया, भंवरी बाई चपलोत, मधु पीपाड़ा ने गीत के माध्यम से एवं रोशनलाल पगारिय, शकुंतला बोल्या ने भावपूर्ण विदाई पर अपने भाव व्यक्त किए। नियत समय से एक घंटा बाद महावीर भवन से नम आखों से साध्वियों का पैदल विहार प्रारंभ हुआ जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु नियत दूरी साथ मौजूद रहे। मीरा नगर में कॉलोनी वासियों ने भाव भीना स्वागत किया गया। साध्वी बुधवार को नाकोड़ा त्रिशूल मार्बल संस्थान पर व गुरुवार को नाथद्वारा में मेवाड़ प्रवर्तक मदन मुनि के दर्शन करेंगी।
संविधान की प्रस्तावना का वाचन कार्यक्रम आयोजित
राजसमंद, चेतना भाट। भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत अधिनियमित एवं आत्मार्पित किए जाने के 71 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में गत 26 अक्टूबर जिले भर में आयोजित किए जा रहे संविधान सप्ताह के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नरेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को राजकीय बाल संप्रेषण एवं बालिका गृह में संविधान की प्रस्तावना का वाचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। साथ ही विश्व एडï्स दिवस पर एड्स पीडि़तों को अधिकारों एवं बचाव की जानकारी दी। कार्यक्रम में बाल अधिकारिता विभाग निदेशक कृष्णकांत सांखला ने बालकों को संविधान में मौलिक कर्तव्यों की जानकारी दी। प्राधिकरण प्रशासनिक अधिकारी नरेश ओझा ने निरूद्ध बंदियों को नि:शुल्क विधिक सहायता योजना एवं एड्स पीडि़तों के संवैधानिक अधिकारों एवं एड्स रोकथाम के बारे में भी विस्तृत जानकारी प्रदान की। कनिष्ट सहायक यशोदानंदन गौतम ने संविधान की प्रस्तावना एवं संविधान में वर्णित नागरिकों के मूल कर्तव्यों विषेषकर 4-ए (अनुच्छेद 51) में वर्णित प्रावधानों का वाचन कर भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य देश बनाए रखने की शपथ दिलाई। गौरव पुरोहित ने संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्य भारत की प्रभुता, एकताए एवं अखण्डता की रक्षा करना एवं उसे अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। गृह प्रभारी विकास विजयवर्गीय ने बालकों को संविधान के प्रति आस्था रखने एवं सुधार गृह में रहकर स्वयं में सुधार करने के प्रेरित करते हुए सफलता की ओर अग्रसर होने पर जोर दिया।