सजी है रात दुल्हन सी दुल्हा चांद बन आया…

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राजसमंद। शरद पूर्णिमा पर काव्य गोष्ठी मंच की ओर से आयोजित काव्य गोष्ठी में उपस्थित साहित्यकार।

शरद पूर्णिमा के तहत काव्य गोष्ठी आयोजित
राजसमंद, चेतना भाट। शरद पूर्णिमा महोत्सव में काव्य गोष्ठी मंच द्वारा निजी वाटिका में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का आगाज बंकेश सनाढ्य ने मां शारदे की वंदना से किया। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हर्ष गौउ़ ने चांदनी में नहा कर आई गजर पेश की। वहीं भुवनेश प्रभु जोशी ने बुलंदिया कब मांगी थी…, चन्द्रशेखर नारलाई ने घर लौटी शान से बेटी…, हास्य कवि सुनिल व्यास ने बासा खिचड़ी खाई…, मधु पालीवाल ने कृष्ण तुम्हारी बहुत जरूरत है…, राहुल दीक्षित ने दीवारें नफरत से ज्यादा उठती देखी है… हनीफ रिज्वी ने नफरत की दीवार मिटा दे या अल्ला…, हेमन्द्रसिंह चौहान ने मेरी कक्षा की सुन्दर लडक़ी डोली…, देवेन्द्र कुमावत ने तेरी यादों से गुफ्तगू कर रहे है…,ज्योत्सना पोखरना ने जीवन में अनमोल आशिर्वाद थे पापा…, सतीश आचार्य ने इश्क मुहब्बत की सौगात तुम क्या जानों…, मनीष नंदवाना ने में तो आया था इक नजर देखने…, गौरव पालीवाल ने मेरे जीवन का तुम पहला अनुबंध हो…, प्रमोद सनाढ्य ने सजी है रात दुल्हन सी दुल्हा चांद बन आया…, शोभा गोस्वामी ने उम्र हमारी इस घर को घर बनाने में लगा दी…, कुणाल आचार्य ने तुम्हारे नाम का पेड़ लगाया मैनें…, शेख अब्दुल हमीद ने सितारे पूछ रहे थे माजरा क्या है…, प्रकाश जागीड़ प्राश ने घर बेघरों का सजा देना इस बार दीवाली में…, पार्थ आजाद भारती ने मां भारती लाल जागे होगा शत्रु दमन…, राम गोपाल आचार्य ने धवल चन्द्र की श्वेत चांदनी…, सूर्य प्रकाश दीक्षित ने चांद के यौवन की सौलाह कलाएं…, धीरेन्द्र शर्मा ने कलियन को श्रृंगार करेगो मेरो ठाकुर रचना पेश सभी ने शरद पुर्णिमा में काव्य की सरिता बहा मंच लूट लिया। इस अवसर पर दीपक सनाढ्य, देवेन्द्र पालीवाल, सुनिता दीक्षित, धुव्रश्री दीक्षित, रजत पालीवाल, पवन पोखरना, अंलकृत दीक्षित आदि अपस्थित थे। संचालन सूर्य प्रकाश दीक्षित व कुणाल आचार्य ने किया तथा आभार मंच अध्यक्ष धीरेन्द्र शर्मा ने व्यक्त किया।

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