लेकसिटी : रातों में मानो पड़ रही बर्फ, शुक्रवार की रात सबसे सर्द

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फोटो: राजसमंद में अलाव तापकर ठंड से बचाव का जतन करते ग्रामीण।

फतहसागर में नौका विहार शुरू
उदयपुर। शुक्रवार की रात मत पूछो भाई कैसी थी। बिल्कुल कड़कड़ा देने वाली, दिल और दिमाग को झंकझौर देने वाली। ऐसी की मुंह खुलते ही धूंआ धूंआ निकल रहा था। सभी को एक बात समझ नहीं आ रही थी कि आखिरी दो-तीन दिनों से ये हो क्या रहा है। आज मौसम विभाग से जानकारी मिली तो पता चला कि ये वो ठिठुरन भरी रात भी जिसका इंतजार हम पिछले एक साल से कर रहे थे। झीलों की नगरी में आज धूप खिली और दिन का तापमान बढ़ा। हालांकि रात को ठिक वैसे ही ठंडी हवा चमड़ी से गुजरती हुई आंखें दिखाकर इधर से उधर घूमती रही। इधर, फतहसागर में नौका विहार शुरू हो जाने से रौनक बढ़ी है। कोरोना के चलते मार्च में बंद हुई बोटिंग करीब नौ महीने बाद फिर से शुरू हुई है। डबोक स्थित मौसम विभाग से जानकारी मिली तो उसमें बताया गया कि अधिकतम तापमान 24.2 डिग्री व न्यूनतम तापमान 3 डिग्री रिकॉर्ड हुआ। रात के तापमान में तीन डिग्री की गिरावट के साथ ही शुक्रवार की रात पर इस सीजन की अब तक की सबसे सर्द रात का तमगा लगा। विभाग के अनुसार सुबह 11 बजे बाद धूप खिलने से आमजन ने धूप सेवन का आनंद उठाया। धूप से दिन के तापमान में बढ़ोतरी बताई जा रही है। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 21.4 डिग्री था जिसमें तीन डिग्री की बढोतरी हुई है।

तीन दिनों से रातों में बढ़ी ठंडक

बताया जा रहा है कि उदयपुर में तीन दिनों में रात के तापमान में नौ डिग्री की कमी हुई है। दिन के पारे में कमी व बढोतरी बनी हुई है। रात का पारा लगातार गिरता जा रहा है। 16 दिसम्बर को पारा १२ डिग्री पर था जो 17 दिस. को 8 डिग्री, 18 दिस. को 6.2 व 19 दिस. को 03 डिग्री पर जा पहुंचा। पहाड़ी बर्प’बारी के चलते पूरे राजस्थान में ठंड का प्रकोप तेज हुआ है। रात में अलाव व हीटर ही सर्दी से निजात दे रहे है। ऊनी वस्त्रों की बिक्री में भी बढोतरी हो रही है।

तिल के बने व्यंजनों की बढ़ी डिमांड


बापू बाजार में लाॅरी से तिल, पापड़, गजक और चपड़ा बेचेने वाले शंकर का कहना है कि बाबूजी दो-चार दिनों से ठंडक बढ़ने से धंधा ठिक है। बाकि कोरोना के चलते तो हमने आस छोड़ दी। उसका ये भी कहना था कि शाम होते-होते ग्राहकी बढ़ती है और लाॅकडाउन का समय हो जाने से हमें घर निकलना पड़ता है। अगर लाॅकडाउन नहीं हो अगर तो रात दस बजे तक अच्छी खासी ग्राहकी हो जाती है। इसी व्यवसाय से जुड़े मुकेश का कहना है कि अभी गजक और तिल के व्यंजन ब्यावर, भीलवाड़ा और उदयपुर से आ रहे है। सबसे ज्यादा ब्यावर और भीलवाड़ा की डिमांड ज्यादा है। लेकिन उदयपुर में बना माल भी खूब पसंद किया जा रहा है।

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