गणेश चतुर्थी विशेष : राजसमन्द के महागणपति के दर्शन
दरियाव सिंह उर्फ सोनू भाई (युवा पत्रकार Tuu)
महाराणा राजसिंह के समय का अद्भुत अलौकिक, अविस्मरणीय मंदिर
कल गणपति का महोत्सव का है। इसलिए हमने तलाश की शहर के सबसे प्रसिद्ध और अनूठे गणपति मंदिर की। तो आज मैं आया हूं राजसमंद जिला मुख्यालय पर स्थित मंशापूर्ण महागणपति के दर। यह मंदिर राजसमंद झील जाने वाले पर मार्ग पर आता है। इस मंदिर को मंशापूर्ण महागणपति के नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना राजसमंद के संस्थापक महाराणा राजसिंह ने तब की थी जब उन्होंने आमजनता के लिए राजसमंद झील का निर्माण करवाया था। महागणपति की यहां जो प्रतिमा है वो अपने आकार के कारण सबसे अनूठी गणपति प्रतिमा मानी जाती है। लोग कहते है ऐसा स्वरूप और कहीं भी देखने को नहीं मिलता है। यहां विघ्नहर्ता मंगलकर्ता गणपति अपने परिवार के साथ विराजमान है। करीब सवा नौ फीट ऊंची यह प्रतिमा अपने चार हाथों में आयुध फरसा, अंकुश, वरद हस्त और मोदक धारण किए हुए है। शहर के बीच लोगों की अपार श्रद्धा और विश्वास के चलते यह मंदिर जन जन की आस्था का केंद्र माना जाता है। इसलिए के लिए कहा जाता है कि यह मंदिर महाराणा राजसिंह के समस्त जनहित के कार्य संपन्न हो गए तब महाराणा ने महागणपति कहकर संबोधित किया। बता दें कि महाराणा के जनहित के कार्यों में राजसमंद झील, श्रीनाथजी का नाथद्वारा आगमन और मंदिर निर्माण, कांकरोली में द्वारिकाधीश मंदिर सहित अन्य छोटे बड़े जलाशयों के निर्माण शामिल है।
आज होंगे अनुष्ठान
यहां के पुजारी और सेवक परिवार के लोग बताते है कि गणेश चतुर्थी पर हर वर्ष महागणपति को विशेष शृंगार धराया जाएगा और महाभिषेक होगा। षोडश पूजा एवं महाआरती होगी। हालांकि कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं का मुख्य मंदिर में प्रवेश निषेध रहेगा। कोरोना गाइड लाइन के अनुसार ही नियमों की पालना की जाएगी।
कहां है ये मंदिर
ये मंदिर राजनगर के मस्जिद के पास नौचौकी के रास्ते पर है। इसके लिए आपको पुलिस थाने के पास मस्जिद वाले रास्ते पर जाना पड़ेगा।
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