मेनार के कुक ने ऐसा किया दावा कि आप भी इस गांव के मुरीद हो जाएंगे

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स्टोरी: योगेश सुखवाल-गोपाल मेनारिया

The Udaipur Updates की खासियत कह दो या कह दो ईमानदारी, ये कभी आपको कैंची हेडिंग बताकर आपको भ्रमित नहीं करेगा। इसी विश्वास को आगे बढाते हुए आज आपको मेनार की स्टोरी बताएंगे। ये भी बताएंगे कि मेनार की हिस्ट्री के साथ यहां की क्या विशेषताएं है। कैसे मेनार की दुनिया में अलग पहचान है। तो चलिए सीधे हमारे साथ उदयपुर से 52 किलोमीटर दूर मेनार गांव। अगर आप इस स्टोरी को वीडियो में देखना चाहते है तो The Udaipur Updates के यूट्यूब लिंक पर जाकर देख लें। स्टोरी पसंद आए तो सबस्क्राइब करके बैल आइकन दबा दें। ताकि ऐसी ही रोचक और चोचक वीडियो और स्टोरी आपको मिलती रहे।
लिंक ये रहा
https://youtu.be/-sV02HnJDSw

ताकि इस स्टोरी की सच्चाई आपको पता चल जाएं। इसके अलावा आप हमारा वीडिया देख चुके है तो फिर ठीक है। अब मामला और रंग दोनों खूब जमेंगे। रंग की बात आई तो सबसे पहले रंगों की विशेषता ही बताता हूं। मेवाड़ में होली के उपरांत आने वाली चैत्र कृष्ण द्वितीया को आती है जमरा बीज। मेवाड़ में जमरा खांडने की परंपरा हैं। महिलाएं होली जलने के बाद बचे हुए ठूंठ को खांडती है। लेकिन उदयपुर के मेनार में इस दिन पूरा गांव शौर्य और वीरता के जयघोष से गूंजायमान रहता है। हुआ यूं कि मेवाड़ पर एक बार मुसीबत से बादल मंडराने लगे। मुगलियां सल्तनत ने बगावत कर दी। युद्ध का ऐलान कर दिया। मुगलिया फौज मेवाड़ की ओर बढ़ने लगी की मेवाड़ के महाराजा ने मेनार के बासिंदों को एक फरमान भेजा। मेनार के सुरेश मेनारिया बताते है कि इसके बाद मेनार ने तलवारें, बंदूकें, तोपें और हथियार तान दिए। जैसे ही फौज ने चढ़ाई की और इस गांव के लोग उस पर टूट पड़े। ठीक जमरा बीज के दिन खंडने वाले खांडे की तरह मुगलिया फौज को खांड दिया। तब से इस गांव में जमरा बीज पर मनाया जाता है शौर्य का ऐसा उत्सव की उस दिन मेनार में हर तरफ देश भक्ति और मातृभूमि के लिए मर मिटने वाले तराने सुनाई देते हैं। साथ ही दिखती है यहां कसुमल पाग और धोती में सेज मेनारवासी। जो इस गांव में होते है वो उत्साह से इस कार्यक्रम में शरीक होते है और जो बाहर रहते है वो उत्साह से उस पल का बेसब्री से इंतजार करते है। इस गांव के एक एक व्यक्ति को उस दिन का इंतजार रहता है। ज्ीम न्कंपचनत न्चकंजमे की टीम पहुंची मेनार की सैर करने। बर्ड विलेज के नाम से मशहूर इस गांव के चैपाल पर हमने सजाई लल्लनटाॅप महफील। लोगों से बातचीत की और जाना की किस तरह इस गांव के लोगों ने पूरे विश्व में अपनी अनूठी छाप छोड़ी।

ऐसे हुई मेनार के लोगों की खाना बनाने की शुरूआत

मंगीलाल जी लूणावत कहते है कि साहब हमारे गांव के चुन्न्ाीलाल जी मुंबई के कादिवली में रहने वाले किशन जी नाम के एक सेठजी के पास नौकरी करते थे। किशनजी का खुद का लाॅज था। अब मेनार से काई काम धंधे के लिए मुंबई जाता तो चुन्न्ाीलाल जी के यहां जाते। वजह ये थी कि मायानगरी मुंबई में किसके यहां ठहरे। चुन्न्ाीलाल जी के लिए दिल में गांव और गांव वालों के प्रति अठूठ श्रद्धा थी। इनके यही से मेनार से जाने वाला अपनी मुकदर के दम पर किस्मत तय करता था। लगातार ये कारवां चल पड़ा और मेनार के महाराज ; खाना बनाने वाले द्ध मशहूर हो गए।

ये है वो बड़े नाम जिसके कीचन पर है मेनार का राज

की टीम ने चैपाल पर लोगों से बातचीत की तो पता चला कि अंबानी से लेकर अडानी और अंबुजा से लेकर आनंद महिंद्रा और अमिताभ बच्चन से लेकर विनोद खन्न्ाा और जूही चावला से लेकर माधूरी दिक्षीत के घर में इस गांव के लोग खाना बनाते है। यही नहीं प्रेम शंकर जी रामावत बताते है कि करजली और कलवल गांव के महाराज नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे पर भी खाना बना चुके है। जब भी पीएम नरेंद्र मोदी विदेश जाते है और उनको गुजराती डिस खाने की इच्छा होती है तो वो महाराज के हाथ से ही खाना बनवाते है। प्रेमशंकर जी दावा करते है कि पीएम मोदी हमारे गांव के लोगों के हाथ का बनाया खाना खाकर कहते है ये तो मेवाड़ी महाराज के हाथों का जादू हैं। खैर जो भी हो मेनार के कुक के हाथों में कोई तो जादू है।

अमेरिका और यूरोप में ले ली नागरिकता

राजू कलावत कहते है कि हमारे गांव के कई लोगों ने विदेशों में नागरिकता तक ले ली है। वो विदेशों में खाना बनाते बनाते उम्र गुजार चुके है। इतने में हिरो स्टाइल में बने बालों के साथ प्रभुलाल कहते है कि हम यूट्यूब पर देख देखकर खाना बनाना नहीं सीखें है। हम हमारे गुरूजी के हाथ के बैलन और चमच्चे खा खाकर सीखे है इसलिए हमारा कोई मुकाबला न कोई कर पाया न कोई कर सकता है। भाई प्रभुलाल जी बात में तो दम है। मगर ये होता कैसे है। इसके जवाब में प्रभुलाल कहते है कि हमने कुक बनने के लिए बहुत पसीना बहाया है। मेरे से भी बड़े-बडे़ कुक इस गांव में रहते है मगर हम सामने वाले का खाना बनाकर उसको कैसे बनाया गया है वो सीख जाते है। मतलब प्रभुलालजी सुरमा भोपाली है आप। बोलते है नहीं हमने भट्टी के पास कलेजा तपाया है तब जाकर कुक बने है। प्रभुलालजी मैं अगर इसको सीखना चाहूं तो इस सवाल पर वो बोले लगन और मेहनत हो तो हर कोई सीख सकता है। हम शुरू से ही माइंड सेट करके जाते है कि आगे-पीछे हमको ऐसा कुक बनना है जिसके हाथों का खाना खाकर लोग बोल पड़े वाह क्या लाजवाब है।

अगली स्टोरी पर पढ़ेंगे आप मेनार की पूरी कहानी। कैसे गांव की स्थापना हुई। शिवप्रतिमा और गांव के दोनों तालाब के साथ जमरा बीज की रोचक स्टोरी।

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