मावली: भाजपा की आपसी खिंचतान से पुष्कर के हाथ आई प्रधान की कुर्सी

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  • द उदयपुर अपडेट्स का सटीक रहा आंकलन
  • ये चार कारण जो दिला सकते थे जीत: कुलदीप सिंह को टिकट नहीं देना, विधायक का निष्क्रिय रहना, दलीचंद का कुराबड़ रूख, विधानसभा प्रभारी व संयोजक का मिस मैनेजमेंट व निष्क्रिय रहना

मावली से ओम पुरोहित की रिपोर्ट
मावली। पंचायत समिति मावली के चुनाव में द उदयपुर अपडेट्स का आंकलन सटीक रहा। आंकलन के मुताबिक ही मावली पंचायत समिति की 25 सीटों में से कांग्रेस को 15 व भाजपा 10 सीटांे पर जीत मिली। ऐसे में कांग्रेस का प्रधान बनना तय हो गया। इधर, मावली की 4 जिला परिषद सीटों में 2 कांगेस व 2 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। सबसे बड़ी बात ये रही कि भाजपा के कई दिग्गज नेता व प्रधान पद के प्रबल दावेदार धराशाही हो गए।
मावली में जिला परिषद की वार्ड 37 से जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल खुद चुनाव हार गए। शांतिलाल मेघवाल 2015 से 2020 तक भाजपा के उदयपुर जिला प्रमुख पद पर काबिज रहे है। पंचायत समिति वार्ड 22 जेवाणा व लोपडा पंचायत से भाजपा के प्रधान पद के प्रबल दावेदार व भाजपा के देहात जिला महामंत्री चन्द्रगुप्त चैहान को करारी शिकस्त मिली। चंदगुप्त सिंह चैहान के पिताजी जोधसिंह चैहान व माताजी श्यामाकुमारी सेंगर पूर्व में विधायक रह चूके है। इसके अलावा वार्ड 08 गुड़ली व तुलसीदासजी की सराय पंचायत मावली विधानसभा प्रभारी, संयोजक व मावली मंडल के पूर्व अध्यक्ष दिनेश कावड़िया का स्थानीय वार्ड है। यहां से भाजपा के पूर्व डबोक मंडल अध्यक्ष व पूर्व पंचायत समिति सदस्य के पिताजी जवानसिंह राणावत चुनाव लड़े और हार गए। यहां से दिनेश कावड़िया भाजपा के उम्मीदवार को जीत दिलाने में असफल रहे।


भाजपा की हार मावली के इन दिग्गज चेहरों की हार भी

  1. स्थानीय विधायक धर्मानारायण जोशी: जनता का कहना है कि विधायक जोशी लंबे समय से निष्क्रिय है। हालांकि कोरोना पाॅजिटिव आने के बाद से वे अस्वस्थ चल रहे थे लेकिन अचानक मावली आकर प्रेस को संबोधित करने का मसला इस चुनाव में कई ना कई हार का कारण रहा। लोगों का कहना है कि घर पर बैठकर भी उचित दिशा निर्देश देकर या खबर लेकर पार्टी को मजबूत बना सकते थे। साथ ही पार्टी के पक्ष में माहौल के लिए वे सोश्यल मीडिया का उपयोग कर सकते थे।
  2. पूर्व विधायक दलीचंद डांगी: इसके कुराबड़ जाने से पार्टी और कमजोर हो गई। हालांकि आलाकमान ने इनको मावली में काम करने को कहा मगर इनका मोह कुराबड़ में रहा। इससे ये लगता है कि दलीचंद भी खुद इस हार को पहले भांप चुके थे। उनको कुराबड़ के जीत का सेहरा बांधने का मोह मावली में कहीं ना कहीं हार की वजह रही।
  1. विधानसभा प्रभारी व संयोजक दिनेश कावड़िया: आमजन का कहना है कि विधानसभा प्रभारी व संयोजक होने के नाते इनका मैनेजमेंट पूरे चुनाव में कहीं भी नजर नहीं आया। इसके अलावा अपने क्षेत्र की सीट तक को नहीं बचा पाए।
  1. डबोक मंडल अध्यक्ष कुलदीप सिंह चूंडावत: लोगों का कहना है कि कुलदीप सिंह का टिकट काटना मावली में भाजपा की हार की मुख्य वजह है। टिकट नहीं मिलने से नाखुश कुलदीप सिंह अपनी पंचायत को छोड़कर कहीं भी बाहर नहीं गए। हालांकि उन्होंने अपने क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी को भारी मतों से जीताकर ये जगजाहिर कर दिया कि इस दीपक ही वजह से ही मावली में भाजपा की लौ इस बार कम हो गई। वाकई ये बात जनता भी स्वीकार करती है और हमारे सर्वेे में भी सामने आया कि अगर कुलदीप सिंह को टिकट मिल जाता तो भाजपा का पलड़ा भारी रहता। कुलदीप के मन की टीस भाजपा के लिए कहीं ना कही नासुर का काम कर गई।

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