सट्टा बाजार में कांग्रेस का पलड़ा भारी
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी की प्रतिष्ठा दांव पर
भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों के नेता कर रहे जीत का दावा
राजसमंद, चेतना भाट। गांवों में किसकी बनेगी सरकार? चुनाव परिणाम को जानने के लिए हर कोई है बेकरार, मतगणना का समय नजदीक आने के साथ ही लोगों की उत्सुकता बढऩे लगी है वहीं उम्मीदवारों की धडक़नें बढ़ गई है। गत पखवाड़े 23 नवंबर से पहले चरण के लिए भीम व देवगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र से शुरू हुए पंचायत चुनाव, द्वितिय चरण में देलवाड़ा, खमनोर व रेलमगरा, तृतीय चरण में आमेट व राजसमंद तथा चौथे व अंतिम चरण में कुंभलगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र में मतदान के साथ 5 दिसम्बर को सम्पन्न हुए चुनाव के परिणाम जानने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसके साथ ही इस बार जिले में कांग्रेस परचम लहराए, इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष एवं नाथद्वारा विधायक डॉ सीपी जोशी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। क्यों कि डॉ जोशी का गृह जिला होने के नाते राजसमंद में इस बार कांग्रेस का परचम लहराए जिसके लिए उन्होंने एैसी ही रणनीति बनाई है। मंगलवार को पंचायत समिति सदस्यों व जिला परिषद सदस्यों के चुनाव का परिणाम आना है। मतगणना का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे ही उम्मीदवारों का दिल धडक़ने लगा है, उम्मीदवारों के लिए मतगणना से पूर्व की रात निकालना भारी रहा। पहले चरण के लिए भीम व देवगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र से शुरू हुए पंचायत चुनाव, द्वितिय चरण में देलवाड़ा, खमनोर व रेलमगरा, तृतीय चरण में आमेट व राजसमंद तथा चौथे व अंतिम चरण में कुंभलगढ़ पंचायत समिति क्षेत्रों में हुए पंचायत समिति सदस्यों व जिला परिषद सदस्यों के चुनाव सम्पन्न हुए तबसे दोनों दलों के उम्मीदवार बाड़ाबंदी में हैं।
भाजपा व कांग्रेस का अपना-अपना दावा
मंगलवार को मतगणना के बाद तय हो जाएगा कि किस पार्टी का प्रधान बनेगा। हालांकि दोनों दल कांग्रेस व भाजपा के नेता अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। उधर सट्टा बाजार में भीम, देवगढ़, राजसमंद, खमनोर, कुंभलगढ़ एवं देलवाड़ा पंचायत समिति क्षेत्रों में कांग्रेस का पलड़ा भारी बताया जा रहा है साथ ही आमेट व रेलमगरा में निर्दलिय जीत का समीकरण बिगाड़ रहें है। जबकि जिला प्रमुख पद पर कांग्रेस का कब्जा बताया जा रहा है। सटोरियों का मानना है कि वैसे तो जीत का अंतर मामूली होगा मगर जिला परिषद में भाजपा के मुकाबले में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहेगा, सटोरियों के हिसाब से अधिकांश जगहों पर कांटे की टक्कर है। देलवाड़ा पंचायत समिति क्षेत्र के नवगठन के साथ पहली बार चुनाव हुए हैं। इसके अलावा, भीम, देवगढ़, राजसमंद, खमनोर, आमेट, रेलमगरा एवं कुंभलगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र में गत बार भाजपा का बोर्ड रहा है। राज्य में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के दिग्गज नेता विधानसभा अध्यक्ष एवं नाथद्वारा विधायक डॉ सीपी जोशी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। डॉ जोशी ने नामांकन से पूर्व ही जिले के कांग्रेस नेताओं व जनप्रतिनिधियों से राय सलाह कर जिताऊ कांग्रेस प्रत्याशियों को ही टिकिट दिए है। साथ ही मतगणना के बाद 10 व 11 दिसम्बर को होने वाले जिला प्रमुख व प्रधान, उपजिला प्रमुख व उपप्रधान के चुनाव से पूर्व ही विधानसभा अध्यक्ष एवं नाथद्वारा विधायक डॉ सीपी जोशी यहां पहुंच गए है। उनके निर्देश पर ही जिला प्रमुख या प्रधान बनाए जाएंगे।
चुनाव परिणाम को लेकर करते रहे माथापच्ची
इस चुनाव में मतदाताओं की उदासीनता व खामोशी के चलते राजनीतिक पंडित चुनाव परिणाम को लेकर असमंजस में पड़ गए। राजनीतिक पंडितों की माने तो इस बार जिले में जिला परिषद सहित आठों ही पंचायत समितियों में परिणाम चौकाने वाले भी आ सकते हैं। चुनाव परिणाम किसके हक में होगा अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि दोनों दलों के नेता सोमवार को दिनभर चुनाव परिणाम को लेकर माथापच्ची करते नजर आए। दोनों ओर से नेतागण जीत-हार की संभावनाओं को लेकर जोड़ बाकी कर अलग-अलग सीटों पर जीत व हार की वजह तलाश करते नजर आए। खैर परिणाम जो भी हो मगर यह चुनाव परिणाम कई उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने के साथ कई नेताओं के भी राजनीतिक भविष्य का फैसला करेगा।
हारे हुए उम्मीदवार होंगे बाड़ेबंदी से बाहर
जिले में जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों के लिए चार चरणों में सम्पन्न हुए चुनाव के बाद प्रत्याशियों के भाग्य ईवीएम में कैद है। उनके भाग्य का फैसला मंगलवार को होने वाली मतगणना के बाद होगा। इससे पूर्व भाजपा व कांग्रेस के चयनित व इसके अलावा जिताऊ निर्दलीय उम्मीदवारों की उनके नेताओं के आदेश पर बाड़ा बंदी कर रखी है। हालांकि मतगणना के बाद हारे उम्मीदवारों को बाड़ाबंदी से छाड़ दिया जाएगा। जबकि जीते हुए भाजपा व कांग्रेस के साथ निर्दलिय उम्मीदवारों को जिला परिषद में जिला प्रमुख, उपजिला प्रमुख व पंचायत समितियों में प्रधान व उपप्रधान के 10 व 11 दिसम्बर को होने वाले चुनाव तक बाड़ा बंदी में रहना होगा। अब तक बाड़ाबंदी में कैद उम्मीदवारों ने अपने परिवार के सदस्यों से दूर दिन बिताएं है। कई प्रत्याशियों के फोन तक बंद है। पंचायत राज चुनाव के 8 दिसंबर को आने वाले चुनाव परिणाम से ठीक पूर्व जहां कांग्रेस पूर्ण एकजुट नजर आ रही है तो बाड़ा बंदी को लेकर भाजपा में दो गुट सक्रिय हो गए हैं।