हर किसी को चुनाव की घोषणा का इंतजार
आरोप प्रत्यारोपों के बीच काफी रोचक होगा इस बार निकाय चुनाव
प्राथमिक स्तर पर चुनावी तैयारियां शुरू
राजसमंद, चेतना भाट। निकट भविष्य में होने वाले राजसमंद नगर परिषद चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई है। इस बार राजसमंद में नगर परिषद में सभापति पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित होने की वजह से ओबीसी वर्ग के लोगों में अधिक उत्साह देखने को मिल रहा है दोनों दलों कांग्रेस व भाजपा में करीब एक दर्जन से ज्यादा दावेदार ऐसे हैं जो सभापति बनने का सपना संजोए बैठे हैं। दोनों ही दलों के नेता चुनाव की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि दोनों ही दलों ने फौरी तौर पर पार्षद पद के उम्मीदवारों की तलाश शुरू कर दी है। वहीं कुछ दावेदारों ने तो टिकट पाने की जुगत के साथ चुनाव लडऩे की रणनीति बनाना भी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने तो उम्मीदवार तय करने के लिए वार्डों में संयोजक व प्रभारी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अंदरूनी कलह व धड़ेबाजी में उलझी कांग्रेस टिकट बंटवारे में कितनी सफल होगी कहना मुश्किल है। कांग्रेस में अंदर ही अंदर क्या पक रहा है पता नहीं, मगर गत दिनों पंचायत चुनाव में बड़े अंतराल से पिछडऩे के बाद कांग्रेस नगर परिषद चुनाव को अपने हाथ से खोने देना नहीं चाहती। कांग्रेस इस बार राजसमंद नगर परिषद में अपना बोर्ड बनाने में पीछे नहीं रहेगी। हालांकि कांग्रेस में अभी पालिका चुनाव को लेकर हलचल नजर आने लग गई है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस चुनाव की घोषणा का इंतजार कर रही है, जैसे ही चुनाव की तारीख घोषित होगी वैसे ही वह पूरे दमखम व रणनीति के साथ चुनाव मैदान में होगी। राज्य में सत्ता में होने व हाल ही में राज्य के 12 जिलों के निकाय चुनाव के परिणाम उसके पक्ष में आने की वजह से कांग्रेस पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनाव मैदान में कूदने को तैयार है। कांग्रेस में निकाय चुनाव की बागडोर इस बार किसके हाथ में होगी या फिर कांग्रेस इस बार कमेटी बनाकर उसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी, इस पर सबकी नजर है।
पंचायत चुनाव में हुई गलती कांग्रेस नहीं दोहराना चाहेगी
क्योंकि गत दिनों राजसमंद पंचायत समिति में सम्पन्न हुए पंचायत चुनाव की बागडोर पीसीसी सदस्य हरिसिंह राठौड़, उनके बेटे युवानेता दिग्विजयसिंह राठौड़, पूर्व जिला प्रमुख नारायणसिंह भाटी, ब्लॉक अध्यक्ष शांतिलाल कोठारी के हाथ में थी मगर चुनाव परिणाम अनुकूल नहीं आने की वजह से शायद निकाय चुनाव की बागडोर जिला कांग्रेस कमेटी संभाल सकती है। खैर पंचायत चुनाव में हुई गलती कांग्रेस नहीं दोहराना चाहेगी, इसलिए यह माना जा रहा है कि नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस पूरी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में होगी। अपनी राजनीतिक छवि को बनाए रखने के लिए कांग्रेस को राजसमंद नगर परिषद परिषद चुनाव जीतना बेहद महत्वपूर्ण होगा। राजसमंद नगर परिषद में पिछले दो दशक से लगातार भाजपा का बोर्ड रहा है। हालांकि इस बीच सभापति पद पर हुए सीधे चुनाव में कांग्रेस की ओर से आशा पालीवाल सभापती की सीट पर पहुंची थी। लेकिन बॉर्ड पर भाजपा का कब्जा बरकरार रहा।
दो दशक से भाजपा का कब्जा है राजसमंद में
राजसमंद नगर परिषद में दो दशक से लगातार भाजपा का बोर्ड होने की वजह से इस बार भी भाजपा का यह प्रयास रहेगा कि बोर्ड भाजपा का बने। पिछले लंबे समय से शहरी मतदाताओं का रुझान भाजपा के पक्ष में रहा है, इसलिए भाजपाई निकाय चुनाव को लेकर अति उत्साहित हैं। गौरतलब है कि निकाय चुनाव को लेकर दोनों ही दलों कांग्रेस व भाजपा के पास कोई ऐसा ठोस मुद्दा नहीं जिसे लेकर वह मतदाताओं के बीच जाए। पिछले दो सालों से शहर की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। इस मामले में भाजपा नेताओं का कहना है कि भाजपा बोर्ड के कार्यकाल में शहर में करोड़ों रुपए के विकास कार्य हुए हैं लेकिन दो साल पहले ज्योहीं कांग्रेस ने राज्य में सत्ता संभाली, शहर का विकास अवरुद्ध हो गया। कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक द्वेषता के चलते परिषद में ऐसे अधिकारी लगा दिए जिन्होंने पालिका में बजट होने के बावजूद कोई काम नहीं होने दिया। अब जब परिषद में भाजपा का कार्यकाल पूरा हुआ तो अधिकारियों की मनमानी चल रही है। वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा बोर्ड का कार्यकाल किसी से छिपा नहीं है जिसमें जमकर मनमानी, अनियमितता व भ्रष्टाचार हुआ है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि शहर के विकास के मुद्दे को लेकर हम मतदाताओं के बीच जाएंगे। उनका कहना है कि वर्तमान में करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य प्रगति पर हैं। कुल मिलाकर किाय चुनाव आरोप प्रत्यारोपों के बीच काफी रोचक होने की उम्मीद जताई जा रही है फिलहाल हर किसी को चुनाव की घोषणा का इंतजार है।