सर्वार्थ सिद्ध योग के साथ होगा लक्ष्मी पूजन, इस बार चार दिवसीय होगा दीपोत्सव
राजसमंद, चेतना भाट। कोरोना संक्रमण के बीच ही कुबेर देवता की पूजन के साथ ही शुक्रवार से महापर्व चार दिवसीय दीपोत्सव प्रारंभ हो जाएगा। इस बार दीपावली पर विशेष योग बने रहे है। जिसमें कुछ विशेष योग में वाहन, भूमि, भवन, ज्वैलरी, दूकान, वाहन सहित इलेक्ट्रोनिक आईम व घरेलू सामान की खरीदारी विशेष लाभकारी होगा। इस बार दीपावली पर पूरे दिन सर्वार्थसिद्ध योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार दीपावली पर खरीदारी अधिक फायदेमंद और शुभफल देने वाली होगी। हालांकि इस बार दीपावली एवं रूप चौदस यानी नरक चतुर्थदशी एक साथ होने के कारण चार दिवसीय दीपोत्सव मनाया जाएगा। वहीं 14 नवम्बर शनिवार होने एवं नरक चतुर्थदशी के साथ दीपावली पूजन होने एक साथ होने से भी कई विशेष योग बन रहे है। इस बार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी एवं चतुर्थदशी दोनों ही प्रदोष काल में 13 नवम्बर को ही है। इस कारण इस बार धन त्रयोदशी, नरक चतुर्थदशी एवं रूप चौदस तीनों एक साथ मनाए जाएंगे। वहीं चतुर्थदशी शनिवार को भी प्रदोषकाल में अमावस्या आ जाने से 14 नवम्बर को ही महापर्व दीपोत्सव मनाया जाएगा। जबकि 15 नवम्बर को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा। इसी प्रकार 16 नवम्बर को यम द्वितीया, भैया दूज, विश्वकर्मा दिवस, कलम दवात पूजा एवं चित्रगुप्त पूजा होगी।
कुबेर एवं चोपड़ा पूजा का शुभ मुहूर्त
विक्रम संवत 2077 कार्तिक कृष्ण पक्ष 13 शुक्रवार संध्या प्रदोष यमदीप दान एवं श्रीपूजन संध्या बेला 5:50 बजे से संध्या समय 8:22 बजे तक श्रेष्ठ रहेगा। शनिवार को प्रात: बेला 8 बजे से 9:27 तक के मुहूर्त में बहीखाता चोपड़ा पेन लाना श्रेष्ठ रहेगा।
ये रहेगा दीपावली का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष आचार्य पंडित अर्जुनकृष्ण पालीवाल के अनुसार इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 17 मिनट पर लगेगी। इससे पूर्व चतुर्दशी रहेगी इसके बाद अमावस्या प्रदोष काल में होने से इसी दिन दीपोत्सव मनाया जान श्रेष्ठ रहेगा। प्रदोष युक्त अमावस्या को स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन किया जाना श्रेष्ठ होता है। इस लिए अमावस्या योग मेंं लक्ष्मी पूजन का समय श्रेष्ठ माना गया है। दिन में चौघडिय़े के आधार पर प्रात: 8:15 बजे से 9:37 तक, दोपहर में 12:20 बजे से से 4:22 बजे तक का समय शुभ है। इस दिन अभिजीत वेला प्रात: 11:56 बजे से 12:46 तक रहेगी।
सर्वश्रेष्ठ समय संध्या: प्रदोष बेला में संध्या वेला 5:46 बजे से रात्रि 8:24 बजे तक श्रेष्ठ माना गया है। रात्रि के चौघडिय़े के आधार से संध्या बेला 5:44 बजे से 7:24 बजे तक है तथा रात्रि 9:02 बजे से रात्रि 1:56 बजे तक एवं शेष रात्रि 5:14 बजे से 6:54 बजे तक रहेगा। लग्न के आधार से वृषभ लग्न संध्या बेला 5:51 बजे से 7:46 बजे तक रहेगा एवं सिंह लग्न मध्य रात्रि 12:19 से 2:33 तक शुभ रहेगा।