
राजसमंद, चेतना भाट। देवउठनी एकादशी का त्योहार बुधवार को मनाया जाएगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। देवउठनी एकादशी से वैवाहित कार्यक्रमों के साथ अन्य मांगलिक कार्यक्रमों की शुरूआत हो जाती है। देवउठनी एकादशी को शहर सहित जिलेभर में तुलसी विवाह आयोजित किया गया। आचार्य अर्जुनकृष्ण पालीवाल ने बताया कि शालीग्राम और तुलसी की पूजा से पितृदोष का शमन होता है। इसीके चलते शहर के किशार नगर मण्डा में शालीग्राम एवं तुलसी विवाह का आयोजन किया गया। विवाह से पूर्व भगवान शालीग्राम की नगर में शोभायात्रा निकाली गई और तौरण रस्म के बाद तुलसी माता ने प्रभु शालीग्राम के साथ वैदिक मंत्रोंच्चार की गुंज के साथ फैरे लिए। वहां पर मौजूद यजमनों ने कन्यादान स्वरूप विभिन्न उपहार, आभुषण एवं नकदी भेंट की। हिन्दू पंचांग के अनुसार तुलसी विवाह का आयोजन हर साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन किया जाता है। साल 2020 में यह एकादशी तिथि 25 नवंबर को प्रारंभ हुई और 26 तारीख को समाप्त होगी। कई जगह द्वादशी के दिन भी तुलसी विवाह किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुलसी विवाह के दिन अपनी राशि के अनुसार उपाय करने से जीवन में सुख-संपत्ति का आगमन होता है और मनोकामना पूर्ण होती है।
द्वारकाधीश मंदिर में देव प्रबोधिनी एकादशी आज
राजसमंद, चेतना भाट। श्री पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्री द्वारकाधीश मंदिर में गुरुवार को प्रबोधिनी एकादशी छोटी दीपावली का पर्व बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। गुरुवार प्रात: आमजन को मंगला के दर्शन नहीं होंगे और श्रृंगार के दर्शन खुलेंगे श्रृंगार के दर्शन में प्रभु श्री द्वारकाधीश के सम्मुख देव उठेंगे। यह दर्शन सुबह 10 बजे के आसपास होंगे इसके लिए प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर गर्भ ग्रह से ठीक बाहर आकर्षक सुंदर रंगोली से मंडप सजाया गया है। जहां शालीग्राम प्रभु का पंचामृत होना है यहीं पर देव उठाने की सेवा सिद्ध होगी। इस अवसर पर प्रभु के सम्मुख रतन चौक में एक बड़ा दीप प्रज्वलित किया जाएगा। साथ ही प्रभु श्री द्वारकाधीश के अंगेठी, सिगड़ी की सेवा भी आरंभ हो जाएगी। प्रबोधिनी एकादशी से प्रभु श्री के शीतकालीन सेवाओं के आने का क्रम आरंभ होगा। प्रबोधिनी एकादशी के पर्व पर शालिग्राम और तुलसी विवाह की परंपरा का निर्वहन जनाना चौक में किया जाएगा। वहीं शाम को शयन के दर्शन होंगे जोकि गुरूवार से आम श्रद्धालुओं के लिए बंद हो जाएंगे, जो पुन: बसंत पंचमी के दिन आमजन के लिए खुलेंगे।