त्योहारी सीजन में निजी बस संचालकों की मनमर्जी

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राजसमंद। बसों की गैलेरी में सवारियों को ठूस-ठूस कर बिठाने पर सोशल डिस्टेसिंग की धज्जिया उड़ाते निजी बस चालक।

यात्रियों से वसूला जा रहा है दो से तीन गुना किराया
राजसमंद, चेतना भाट। त्योहारों की सीजन, शादी विवाह के शुभ अवसर पर खरीददारी के माहौल, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन तथा स्कूल कॉलेजों में घोषित मध्यावधि अवकाश की घोषणा के साथ ही प्रदेश के समस्त जिलों में व्यापारी, कर्मचारी तथा परीक्षार्थियों की आवाजाही बढऩे लगी है। ऐसे में निजी बस ट्रैवल कंपनियों द्वारा संचालित लंबी दूरी की बसों में किराया को लेकर मनमर्जी की जा रही है और यात्रियों से दो से 3 गुना किराया वसूला जा रहा है, जिसके चलते यात्रियों में भारी रोष व्याप्त है। निजी बस संचालकों द्वारा यही लूटमारी व वसूली का खेल हर त्योहारी सीजन में खेला जा रहा है और जिम्मेदारों ने इस पर मौन धारण कर रखा है जो जनता के प्रति गैर जिम्मेदारी व असंवेदनशीलता है।
उड़ रही है बसों में कोरोना गाइडलाइंस की धज्जियां
त्योहारी सीजन में यात्रियों के बढ़ते दबाव को देखते हुए निजी बस ट्रैवल कंपनियों एवं बस मालिक यात्री परिवहन में निर्धारित बैठक क्षमता से अधिक यात्रियों का परिवहन कर रहे हैं। इतना ही नहीं केबिन व गैलरी में भेड़ बकरियों की तरह ठूंस-ठूंस कर यात्रियों को ले जाया जा रहा है तथा यात्री किराया मनमर्जी से वसूला जा रहा है। परिवहन के दौरान इनके द्वारा केंद्र व राज्य सरकार द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिए घोषित दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सोशल डिस्टेसिंग की पालना करना तो दूकर लेकिन इनके द्वारा बसों की सीटों को सैनिटाइज भी नहीं किया जा रहा है, जिससे यात्रियों में कोरोना संक्रमण का खतरा बना रहता है।
बस में केबिन व गैलरी की सवारियों का किराया चालक व परिचालक की जेब में
लंबी दूरी की अंतर राज्य तथा अंतर जिला परिवहन में उपयोग आ रही निजी बसों के चालक व परिचालकों द्वारा निर्धारित सीटों व स्लीपर सीटों के अलावा गैलरी व चालक की केबिन में सवारियों को खचाखच भर कर बिठाया या खड़ा किया जाता है तथा उनसे पूरा किराया वसूल कर अपनी जेबों में डाला जाता है । इस लालच के चलते निजी बस चालक सवारियों को बिठाने की होड़ में तेज रफ्तार में गाडिय़ों को दौड़ाते हैं जिसके चलते मौत के यमदूत के रूप में दौडऩे वाली इन बसों में बैठी सवारियों की जान लिए हमेशा खतरा मंडराता रहता है।
रात्रि में ओवरलोड बसों का निकलता है रैला
जिले के प्रसिद्ध एवं प्रमुख मौसमी फल व फसलख् सीताफल, धनिया, मक्का एवं कद्दू के टनों वजनी कार्टून तथा क्विंटल के हिसाब से बसों की छतों पर रखकर अन्य राज्यों में पहुंचाई जाते हैं। गुजरात से राजस्थान को आने व वाया जयपुर दिल्ली जाने वाली बसों में यात्रियों के साथ-साथ भारी मात्रा में गुड्स सामग्रियां तथा उनके बंडल बसों की छतों पर परिवहन किए जाते हैं, जिसमें प्रतिबंधित सामग्री या सामान होने का भी अंदेशा रहता है और ओवरलोड बसों की गति सीमा अधिक होने के कारण आए दिन सडक़ दुर्घटनाएं घटित होती रहती हैं। प्रशासन एवं परिवहन विभाग को विशेष तौर पर रात्रिकालीन निजी बसों के संचालन का विशेष निरीक्षण, त्योहारों के सीजन के अवसर पर किया जाना जरूरी है।
यात्री बसों द्वारा अवैध माल ढुलाई की हो जांच
जिला मुख्यालय से होकर गुजरने वाली नेशनल हाईवे से दिन-रात निजी ट्रैवल कंपनियों की यात्री बसों का संचालन सैकड़ों की संख्या में होता है, जिनके द्वारा अवैध माल ढुलाई की जाती है। बसों की छतों पर भारी मात्रा में कार्टून व सामान की पोटलिया परिवहन व लदी हुई देखी जा सकती हैं, जिससे सडक़ हादसों को आमंत्रण मिल रहा है। जिले के नाथद्वारा, गोमती चौराहा, केलवा, दिवेर, कामलीघाट तथा भीम पुलिस चौकियों द्वारा निजी यात्री बसों का निरीक्षण करवाया जाए तो अवैध माल ढुलाई की पोल खुल सकती है। इसमें यातायात एवं परिवहन विभाग तथा निजी बस संचालकों की मिलीभगत से भी मना नहीं किया जा सकता।
यात्रियों को होना होगा सजग
निजी बसों द्वारा कीमत चुका कर लंबी की यात्रा करने वाले यात्रियों को अपने अधिकारों के प्रति सतर्क होने की जरूरत है कि बस संचालक निर्धारित बैठक क्षमता से अधिक यात्रियों का परिवहन करें, तो उनकी शिकायत संबंधित यातायात निरीक्षक व परिवहन विभाग को देवें या शिकायत पेटी का में अपनी शिकायत दर्ज कराएं। यात्रियों की यह जागरूकता ही कोरोना काल में कोरोना संक्रमण को कम कर पाएगी तथा बढ़ते सडक़ हादसों में कमी ला पाएगी।
ट्रैफिक इंस्पेक्टर की नियुक्तियां हो तो बने बात
जिले से गुजरने वाली नेशनल हाईवे से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में निजी ट्रैवल कंपनियों की बसें गुजरती है जो विभिन्न जगहों से हजारों की संख्या में यात्रियों तथा माल का परिवहन करती है, जिसमें ट्रैफिक नियमों की पालना बखूबी नहीं की जाती है। जिले में मात्र 2 ट्रेफिक इंस्पेक्टर नियुक्त है, जिनके द्वारा जिले में संचालित लाखों वाहनों का निरीक्षण कर पाना संभव नहीं हो पाता। फलस्वरुप निजी ट्रैवल कंपनियों तथा बस संचालकों की मनमर्जी चल रही है। यदि संचालित वाहनों की संख्या के आधार पर परिवहन निरीक्षकों की नियुक्ति की जावे तो अवैध वाहनों की परिचालन पर नियंत्रण पाया जा सकता है तथा बढ़ती सडक़ दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।

इकना कहना . . . .
निजी बसों में कोविड-19 के नियमों की पालना आवश्यक हो उसके लिए उनकों पाबंध किया गया है नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। बसों की छत पर एवं डिग्गियों में माल परिवहन करने पर लगातार कार्यवाही का जाती है। दो दिन पूर्व ही चार बसों के चालान बनाए गए है। ये कार्यवाही आगे भी जारी रहेगी।
अनिल पण्डिया, जिला परिवहन अधिकारी-राजसमंद

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