ठाकुरजी को धराए 56 भोग, महिलाओं ने तालाब में तेराई जहाजे

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राजसमंद। कार्तिक मास के तहत चारभुजा में आयोजित भागवत कथा के समापन पर सिर पर 56 भोग का थाल लेकर चारभुजानाथ को भोग चढ़ाने जाते श्रद्धालु।

राजसमंद, चेतना भाट। चारभुजा के पास टाडावाड़ा गुजरान में कार्तिक माह के अनुष्ठान के तहत चारभुजानाथ मंदिर में चल रही भागवत कथा का समापन धूमधाम से हुआ। इससे पूर्व महिलाओं व पुरुषों ने 56 व्यंजनों को थालों में सजाकर भगवान चारभुजा को धराया। कथावाचक कैलाशी देवी गुर्जर ने कथा के अंतिम दिन नरसिंहजी का मायरा का वाचन किया। रात्रि को सत्यनारायण कथा के साथ कृष्ण-राधा की झांकियां भी निकाली गई। कार्यक्रम आयोजक परशुराम पालीवाल ने बताया कि कार्तिक स्नान करने वाले 15 जोड़ों ने 56 व्यंजन बनाए गए। मंदिर प्रांगण में पंडित महेंद्र पालीवाल द्वारा हवन यज्ञ करवाया तथा 5 जोड़ों ने हवन यज्ञ में अग्नि में आहुतियां दी। महिलाओं ने जोड़े सहित जहाज बनाकर उसमें दीपक रख गामेला तालाब में तैराने की रस्म अदा की। इसके बाद गाजे-बाजे के साथ चारभुजानाथ को भूख बढ़ाने की रस्म के साथ ग्रामीणों व महिलाओं ने प्रतिमा के समक्ष जमकर नृत्य किया। भोग रस्म के समय नरसिंह अखाड़े के महंत हीरामणि दास, पुजारी रामचंद्र गुर्जर उपस्थित थे। कथावाचक कैलाशी देवी का ग्रामीणों की ओर से बहुमान किया गया। महीने भर तक सहयोग करने वाले अभिनय, कृष्णा पालीवाल, सुमित, कमलेश, पिंकी बाई वैष्णव, कार्तिक पालीवाल, योगेश व रमेश का आयोजकों ने बहुमान किया।

खेड़ा देवी माता मंदिर में विधि-विधान के साथ ज्वारा विसर्जन

राजसमंद, चेतना भाट। चारभुजा निकटवर्ती जनावद में कार्तिक शुक्ला अष्टमी पर विधि विधान के साथ खेड़ा देवी मंदिर पर मंदिर भोपा चेनाराम मेघवाल एवं ग्रामीणों की ओर से शुभ मुहूर्त में घट स्थापना की। विधि- विधान के साथ ज्वारा का विसर्जन किया गया। मंगलवार को हवन-यज्ञ गुणावती के साथ अपरान्ह तीन बजे खेड़ा देवी माता की आरती उतारी। उसके बाद मंदिर से गाजों बाजों के साथ ज्वारा विसर्जन शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें मंदिर के भोपो ने सिर पर ज्वारा लेकर आगे चल रहे थे पीछे ग्रामीण माताजी के जयकारों के साथ नाचते गाते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा निकटवर्ती बामणिया तालाब पहुंची जहां पर विधि विधान पूर्वक ज्वारा विसर्जन की रस्म पूरी की गई। शोभायात्रा मार्ग में ग्रामीणों ने भोपों से आशीर्वाद लेकर परिवार की समृद्धि की कामना की। विसर्जन के बाद शोभायात्रा पुन: मंदिर पहुंच सम्पन्न हुई। इस दौरान कई ग्रामीण उपस्थित थे।

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