गांव की सरकार बनाने को लेकर मतदाताओं ने नहीं दिखाया उत्साह

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  • – भीम व देवगढ़ में किस पार्टी का होगा प्रधान स्थिति स्पष्ट नहीं
    – क्षेत्र में कम मतदान के बावजूद दोनों दलों के नेता तीनों जगह अपना प्रधान बनाने का कर रहे हैं दावा
    – दोनों ओर उम्मीदवारों की बाड़ेबंदी आवभगत शुरू हुई

    राजसमंद, चेतना भाट। गांव की सरकार बनाने को लेकर इस बार मतदाताओं में उत्साह दिखाई नहीं दिया, जिसके परिणाम स्वरूप भीम विधानसभा की देवगढ़ पंस. में 51.80 एवं भीम पंचायत समिति क्षेत्र में 46.43 सहित सम्पूर्ण विधानसभा क्षेत्र में औसतन 48.41 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान के तुरंत बाद भाजपा नेताओं ने अपने उम्मीदवारों की बाड़ेबंदी कर उन्हें अज्ञात स्थान पर ठहराया है। हालांकि कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को फिलहाल बाड़ाबंदी में अज्ञात स्थान पर नहीं ले जाकर अपने संपर्क में रखा गया है। दोनों दल के नेता अपनी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं तथा दोनों पंचायत समिति क्षेत्रों में अपनी पार्टी का प्रधान बनाने का दावा कर रहे हैं। मतदान के दौरान मतदाताओं की उदासीनता व खामोशी के चलते इस बार राजनीतिक पंडितों को चुनाव परिणाम को लेकर पूर्वानुमान लगाना मुश्किल हो रहा है।चुनाव के दौरान इस बार यह देखने को मिला कि एक ओर जहां हाल ही में निर्वाचित हुए अधिकांश सरपंच कांग्रेस के साथ दिखाई दिए वहीं सरपंच चुनाव में हारे हुए अधिकांश सरपंच प्रत्याशी भाजपा खेमे में नजर आए। दोनों जगह परिणाम चोंकाने वाले भी आ सकते हैं, किसी पार्टी की एक तरफा जीत का दावा नहीं किया जा सकता। भीम में कांग्रेस का एक तरफा मुकाबला माना जा रहा है।
  • यहां पहले भाजपा का प्रधान बनने की बात की जा रही थी लेकिन मतदान से ठीक 2-3 दिन पहले समीकरण तेजी से बदले हैं जो चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं देवगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र में भी भाजपा के मुकाबले कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती नजर आई। कहा जा रहा है कि देवगढ़ में भी नतीजे उलट पुलट हो सकते हैं। दोनों क्षेत्रों में भाजपा उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई हालांकि कांग्रेस नेता व स्थानिय विधायक सुदर्शनसिंह रावत ने तूफानी दौरे कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने का भरपूर प्रयास किया। कई गांवों में मतदाताओं ने पिछले दो सालों में विकास नहीं होने की शिकायत के चलते कांग्रेस के पक्ष में मतदान के प्रति विशेष रुचि नहीं दिखाई। हालांकि भाजपा के पक्ष में भी कहीं माहौल दिखाई नहीं दिया, ना ही भाजपा के पास ऐसा कोई ठोस मुद्दा था जिसे वो भुना सके। मगर आखिरी दिनों में जिस प्रकार भाजपा के गढ़ को ढहाने के लिए कांग्रेस टक्कर की स्थिति में आई उसकी वजह से भाजपा का गणित बिगड़ सकता है। दोनों दलों के नेता उम्मीदवारों की बाड़ेबंदी के बाद अब प्रधान पद के उम्मीदवार को लेकर मंथन शुरू हो गया है। वहीं कुछ प्रत्याशी प्रधान बनने का सपना संजोए प्रयास करने लगे हैं, हालांकि चुनाव नतीजे 8 दिसंबर को आने हैं। फिलहाल चुनाव नतीजे आने से पूर्व बाड़ेबंदी में शामिल उम्मीदवारों की आवभगत का सिलसिला शुरू हो गया

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