- कोरोना काल में सबसे बड़ा फैसला लेने का वक्त, बच्चों को स्कूल भेजे या साल बर्बाद होने दे
स्टोरी रिपोर्ट : हितेश कुमार जोगी/रवि तेली, सराड़ी
सराड़ी। कोरोना के दौर में स्कूल बंद है और बच्चे घर में रहकर ऑनलाइन पढाई कर रहे है। टीचर भी उन्हे घर से ही मोबाइल के गूगल मीट और जूम एप जैसी व्यवस्था के जरिए पढा रहे है। यह सिलसिला कोई महिने डेढ महिने से जारी है। परिजनों ने घर का एक कमरा बच्चे के लिए तय कर रखा है। पढाई के लिए उन्हे स्मार्टफोन दिया गया हैं। इससे ही वे ऑनलाइन पढ रहे हैं। स्कूलों ने बच्चों को ऑनलाइन पढाई कराने के लिए अपनी-अपनी तरह से सिस्टम तैयार करवाया है। किसी ने वाट्सएप के जरिए ग्रुप बनाकर तो किसी स्कूल ने जूम एप् की लिंक शेयर की। इसी तरह टाइमिंग भी अलग-अलग तरह से ही फिक्स की गई हैं। किसी स्कूल में पढाई सुबह 8ः00 बजे से शुरू होती हैं। किसी में 10ः00 बजे से ऑनलाइन क्लासेस लगते हैं। कोई स्कूल सेक्शन वाइज बच्चों को पढा रहे हैं। तो कोई कुछ और। यह व्यवस्था कितनी कारगर हैं, इसकी पडताल की। तीन बडे कक्षाओं के बच्चों से बात की गई। आठवीं, नौवीं और दसवीं में पढने वाले यह तीनों बच्चे उन नामी स्कूलों में अध्ययन कर रहे हैं जहां पढाने का सपना हर मां-बाप देखते हैं। उनसे बातचीत में यही निकल कर आया कि यह ऑनलाइन पढाई की व्यवस्था पूरी तरह चौपट हैं। उनके समय का बडा नुकसान हो रहा हैं। गणित, विज्ञान समेत कई ऐसे और महत्वपूर्ण सब्जेक्ट हैं जो ऑनलाइन क्लासेस के दौरान उन्हे समझ नही आ रहे। ऑनलाइन क्लास के लिए शिक्षकों को सरकार द्वारा ट्रेनिंग नही दिए जाने की वजह से यह बडी परेशानी सामने आ रही हैं।
छात्रों के ही शब्दों में पढिए उनकी परेशानियां
केस 1.
आठवीं की छात्रा ने कहा – पढाई से ज्यादा ऑनलाइन क्लास का डर
स्कूल कक्षा आठवीं की छात्रा ने बताया कि उनके स्कूल में क्लास हर दिन अलग-अलग लगाई जा रही हैं। सोमवार से शनिवार तक टाइम टेबल तय हैं। इसी के अनुसार स्कूल की ड्रेस पहनकर उन्हे तय समय में ऑनलाइन क्लास ज्वाइन करनी हैं। चूंकी पूरी पढाई मोबाइल नेटवर्क की व्यवस्था पर निर्भर हैं, पढाई कम और ऑनलाइन क्लास को ज्वाइन करने का डर ज्यादा लगता हैं।
केस 2.
10 वीं के छात्र ने कहा – गणित और विज्ञान समझ नही आ रहा
10 के छात्र ने बताया कि ऑनलाइन क्लास में उन्हे गणित और विज्ञान के सब्जेक्ट समझ में ही नही आ रहे। टीचर विज्ञान के डायग्राम बनाती कुछ और हैं और फोटो में कुछ और दिखता हैं। गणित में ऑफलाइन क्लासेज के दौरान जिन सवालों केा हल करने में घंटो लगते हैं उन्हे सिर्फ ऑनलाइन क्लास के दौरान टीचर्स बता कर छोड देते हैं।
केस 3.
12 की छात्रा ने कहा – तीन घंटे में मोबाइल डेटा खत्म, होमवर्क कैसे करें
12 की छात्रा बताया कि ऑनलाइन क्लास में दौरान उन्हे टीचर की आवाज समझ नही आ रही। एक बार में 60 बच्चों की ऑनलाइन क्लास में शामिल किया जा रहा हैं। अचानक कभी पढाई करवा रहे टीचर का चेहरा गायब हो रहा तो कभी बच्चें का। तीन घंटे की क्लास में पूरा डेटा खत्म हो रहा। जिस कारण टीचर्स के दिए होमवर्क नही हो पा रहे।
इनका कहना हैं –
वर्जन:- बडी क्लासेज के बच्चों के पास मोबाईल व अन्य कम्प्यूटराइज डिवाईज हैं लेकिन क्षैत्र में मात्र एक ही जियो टावर (पानी कोटडा) से करीब 6 माह पूर्व से ही नेटवर्क गायब तथा नही मिल पाने से नेटवर्क का डेटा खत्म हो जाता हैं व सर्वर कम मिलने से डिवाइस पर ऑनलाईन कार्य नही हो पाता हैं।
सुनित शर्मा
कार्यवाहक प्रधानाचार्य
उ.मा.वि.सराड़ी
वर्जन:- तीन माह पूर्व तेज हवा व आन्धी चलने से कई जगहों पर जियो टेलिकॉम टावर से प्रसारण डिस्क के हील जाने से नेटवर्क व सम्पर्क सन्तुलन बिगड गया हैं, मैंने जयपुर जियो टेलिकॉम से बात की हैं। नेटवर्क सुविधा बहुत जल्दी ही बहाल कर दी जायेगी।
मनोज सालवी
जियो टेलिकॉम ऑपरेटर, उथरदा