राजसमंद, चेतना भाट। भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद द्वारा शल्य एवं शालाक्य में पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद चिकित्साधिकारियों के लिए जारी किए गए चिकित्सा सम्बन्धित नोटिफिकेशन के विरोध में 11 दिसम्बर को ऐलोपैथी चिकित्सकों द्वारा की जा रही हड़ताल को लेकर आयुर्वेद विभागीय चिकित्सक संघ राजसमंद जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। आयुर्वेद विभागीय चिकित्सा संघ ने ऐलोपैथी चिकित्सकों द्वारा की जा रही हड़ताल का विरोध जताया है। संघ मंत्री डॉ. विनोद सैनी ने बताा कि देश के गौरवमई चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के साथ षड्यंत्र और दुष्प्रचार है। हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं एवं इस सम्बन्ध में कुछ तथ्यों को बताना चाहते हैं कि आयुर्वेद में प्रवेश का माध्यम नीट परीक्षा है जो एमबीबीएस और बीएएमएस दोनों के लिए समान है एवं दोनों का ही कोर्स का समय साढे 4 वर्ष समान है एवं दोनों की इंटर्नशिप अवधि भी 1 वर्ष समान है एवं दोनों ही शाखाओं में 3 शालक्य आदि सभी विषय आते है। ईएनटी का शिक्षण प्रशिक्षण स्वतंत्रता से कई दशक पहले से ही चला आ रहा है। पूर्ण तथ्य यह है कि चिकित्सा की विधियां उपकरण एवं विषय किसी पद्धति के एकाधिकार का नहीं हो सकते है। आज भारतीय चिकित्सा पद्धति एवं आयुर्वेद के चिकित्साधिकारियों के प्रति द्वेष की भावना रखते हुए नोटिफिकेशन का एलोपैथी चिकित्सकों द्वारा विरोध किया जा रहा है जो कि एक निंदनीय कृत्य है इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आयुर्वेद चिकित्सकों का अपमान एवं भारतीय समाज के साथ धोखा एवं छल कर रहा है जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है। आयुर्वेद विभागीय चिकित्सक संघ जिला शाखा ने आयुष मंत्रालय भारत सरकार का आभार ज्ञापित करते हुए। जिन्होंने आयुर्वेद की विद्या को आमजन तक सुलभ एवं सरल बनाने की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम है। साथ ही एलोपैथिक चिकित्सकों की हड़ताल के दौरान जन सामान्य को जनसामान्य को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए समस्त आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी राज्य सरकार के निर्देशानुसार पूर्ण जिम्मेदारी एवं निष्ठा से सेवा करने हेतु तत्पर रहने का वचन दिया है।